नई दिल्ली । डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में 'उत्कर्ष महोत्सव' में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और स्वास्थ्य नीति, दोनों ही भारत की जड़ों से जुड़ी हुई हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा का विशेष ध्यान रखा गया है। संस्कृत के बारे में इसमें चिंता की गई और चर्चा को आगे बढ़ाया गया है। नई शिक्षा नीति को भारतीय परिवेश को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है।
संस्कृति के केंद्रीय विश्वविद्यालय पहले की सरकार में क्यों नहीं बने? आज ही क्यों केंद्रीय विश्वविद्यालय बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दृष्टि से न सोचते हुए तीनों विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया। प्रधानमंत्री जी की नीयत साफ है, इसलिए नीति भी स्पष्ट है। नड्डा ने कहा कि हम संस्कृति के रक्षक हैं और संस्कृति को आगे बढ़ाने की दृष्टि से कार्य कर रहे हैं। इसलिए जहां संस्कृत होगी, वहां हमारी विचारधारा होगी। भारतीय परंपरा, भारतीय संस्कृति, भारतीय उल्लेखों को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत का जो कोई मुकाबला नहीं है, उसका मूल कारण हमारी संस्कृति ही है। कई देश अगर मानवता की दृष्टि से काम करने का सोच सकते हैं तो ये प्राथमिक स्तर पर ही है, लेकिन भारत में यह बहुत विकसित अवस्था में है। हमारी ताकत वह हमारी संस्कृति से ही आती है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में कहा कि संस्कृत को किस तरीके से आगे बढ़ाया जाए, इसे जनता तक कैसे पहुंचाया जाए इसके लिए आप कार्य कर रहे हैं और इसे आप आगे बढ़ाएंगे। ज्ञान, विज्ञान, अर्थ, गणित सभी की उत्पत्ति का बीज संस्कृत ही है। संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं है, बल्कि विभिन्न आयामों को आगे बढ़ाने का रास्ता भी है। हमारे पुरातन ज्ञान को संजोकर रखने वाली भाषा भी संस्कृत है।
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भारतीय परिवेश को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है नई शिक्षा नीति : नड्डा