नई दिल्ली । भारत ने राजपक्षे परिवार के नेतृत्व वाली श्रीलंका सरकार से 'दूरी' बनाते हुए "श्रीलंका के लोगों" को समर्थन देने का वादा किया। महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफा देने के एक दिन बाद, भारत ने श्रीलंका के घटनाक्रम पर कहा कि वह "हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से श्रीलंका के लोगों के सर्वोत्तम हितों को लेकर" समर्थन करना जारी रखेगा। भारत ने बेहद सावधानी से लिखे गए तीन-पैराग्राफ वाले बयान में "श्रीलंका की सरकार" या राजपक्षे का बिल्कुल भी उल्लेख नहीं है। भारत ने अपने बयान में "लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं" का जिक्र किया। इससे कयास लगाए जा सकते हैं कि भारत ने संभवत: शांतिपूर्ण विरोध की ओर इशारा किया है। इसके अलावा ये भी कयास लगाए जा सकते हैं कि भारत ने अपने बयान में श्रीलंका की सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर अलोकतांत्रिक साधनों का इस्तेमाल करने को लेकर भी निशाना साधा। भारत ने श्रीलंका में गहराते आर्थिक संकट और अराजकता के बीच प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे के इस्तीफे एवं अन्य घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह श्रीलंका में लोकतंत्र एवं स्थिरता को बचाने एवं आर्थिक रिकवरी के लिए यथासंभव सहयोग देगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदग बागची ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि एक निकटतम पड़ोसी देश और ऐतिहासिक संबंध होने के नाते भारत श्रीलंका में लोकतंत्र एवं स्थिरता को बनाये रखने तथा आर्थिक रिकवरी में सहयोग के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। बागची ने कहा कि पड़ोसी प्रथम की नीति को ध्यान में रखते हुए भारत ने इस वर्ष श्रीलंका के लोगों को मौजूदा कठिन हालात से निपटने के लिए साढ़े तीन अरब डॉलर की सहायता दी है। इसके अलावा भारत के लोगों ने आवश्यक वस्तुओं, भोज्य पदार्थों एवं दवाओं आदि की भी आपूर्ति की है। प्रवक्ता ने कहा कि भारत हमेशा लोकतांत्रिक माध्यम से व्यक्त होने वाले श्रीलंका के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हितों से निर्देशित रहेगा।
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राजपक्षे पर खामोश भारत ने 'श्रीलंका के लोगों का किया समर्थन