नई दिल्ली । केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा शिक्षकों को थैलेसीमिया को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए 5 मिनट अतिरिक्त समय देना चाहिए। मुंडा ने यह बात विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर दिल्ली में थैलेसीमिया 2022 की चुनौतियां विषय पर आयोजित वेबिनार को वर्चुअल संबोधित करते हुए कही।
यह वेबिनार विभिन्न मंत्रालयों और थैलेसीमिया संघ के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। सम्मेलन में भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने अपने संबोधन में कहा कि जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो यह प्रधानमंत्री की परिकल्पना है कि हम नए संकल्प करें जो भारत को अमृत काल की अवधि के दौरान आत्मनिर्भर भारत की ओर प्रेरित करेगा। इस दिशा में हमें थैलेसीमिया की समस्या से निपटने के लिए भी नए संकल्प लेने चाहिए।
उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों के हितधारकों जैसे शिक्षक-विद्यार्थियों, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, जो थैलेसीमिया की समस्या को समाप्त करने के लिए आवश्यक है। एक शिक्षक को छात्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए अतिरिक्त 5 मिनट का समय देना चाहिए और आंगनवाड़ी कर्मचारियों को ग्रामीणों को बीमारी और इसकी रोकथाम के बारे में सूचित करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि स्थानीय स्तर के कार्यकर्ताओं का इस रोग के बारे में मार्गदर्शन करने और जागरूकता पैदा करने में उनकी मदद करने के लिए सरल और स्थानीय भाषा में सामान्य साहित्य होना चाहिए। इस अवसर पर, जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव, अनिल कुमार झा, जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवल जीत कपूर, दिव्यांगता विभाग के संयुक्त सचिव, राजेश कुमार यादव ने भी वेबिनार को संबोधित किया।
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शिक्षकों को थैलेसीमिया पर जागरूकता लाने को 5 मिनट अतिरिक्त समय देना चाहिए : अर्जुन मुंडा