हेल्सिंकी । फिनलैंड ने जब से नाटो में जाने की इच्छा जताई है, तब रूस के साथ उसके रिश्ते असामान्य हो गए हैं। पिछले दिनों फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने की इच्छा जताई थी। इस पर प्रतिक्रिया करते हुए बकाया भुगतान नहीं किए जाने का बहाना बनाकर रूस ने शनिवार से फिनलैंड को बिजली की सप्लाई बंद करने का निर्णय लिया है।
रूस की सरकारी एनर्जी फर्म इंटर आरएओ ने फिनलैंड की बिजली सप्लाई बंद करने का निर्णय लिया है क्योंकि उसे 6 मई के बाद से पैन-यूरोपियन एक्सचेंज नॉर्थ पूल के माध्यम से बेची गई बिजली का भुगतान नहीं किया गया है। भुगतान में देरी को लेकर कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया है। इससे फिनलैंड पर अंधेरे में डूबने का खतरा पैदा हो गया है, जबकि मास्को पहले ही गैस कटौती करने की घोषणा कर चुका है। आरएओ नॉर्डिक ने अपने एक बयान में कहा कि यह एक असाधारण परिस्थिति है और हमारे 20 साल के व्यापारिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
फिनलैंड के ग्रिड ऑपरेटर फिंगरिड ने अपने एक बयान में कहा कि रूस से आपूर्ति और बिजली को कोई खतरा नहीं है जो फिनलैंड की कुल खपत का केवल 10 फीसदी हिस्सा है। ऑपरेटर ने कहा कि स्वीडन से बिजली आयात और घरेलू उत्पादन से रूसी बिजली कटौती को पूरा किया जा सकता है। उधर, रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने साफ कर दिया है कि फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के फैसले को रूस एक 'खतरे' के रूप में देखता है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मॉस्को खतरों से निपटने के लिए सैन्य, तकनीकी और दूसरे जरूरी कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकता है। फिनलैंड संभावित कटौतियों और खाने की कमी को लेकर योजना बना रहा है। फिनलैंड अपनी ज्यादातर गैस रूस से आयात करता है। फिनलैंड के नेताओं ने नाटो से जुड़ने के लिए आगे आए हैं और माना जा रहा है कि स्वीडन भी अगले दिनों में ऐसा ही कदम उठा सकता है। पुतिन के यूक्रेन पर हमले ने रूस के पड़ोसियों के मन में खौफ पैदा कर दिया है, जिसके बाद दोनों देशों ने नाटो में शामिल होने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। रूस के साथ लंबी भू-सीमा साझा करने वाला फिनलैंड अगर नाटो में शामिल होता है तो रूस के साथ नाटो की सीमा दोगुनी हो जाएगी। यही कारण है कि रूस ने 'सैन्य कार्रवाई' की चेतावनी दी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल ही में कहा कि अगर उनका देश युद्ध से पहले नाटो में शामिल हो जाता तो यह युद्ध होता ही नहीं। नाटो में शामिल होने की यूक्रेन की घोषणा के बाद रूस के साथ उसका तनाव शुरू हुआ था जो आगे चलकर भीषण युद्ध में बदल गया।
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