जम्मू । कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारी राहुल भट की हत्या का मामला तूल पकड़ता दिख रहा है, क्योंकि 90 के दशक के बाद घाटी में कश्मीरी पंडितों का इतना बड़ा प्रदर्शन पहली बार देखने को मिला है। हालांकि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहुल भट के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें इंसाफ दिलाने का भरोसा दिलाकर कहा है कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को इस जघन्य कृत्य के लिए बहुत भारी कीमत चुकानी होगी। लेकिन कश्मीरी पंडित समुदाय अपनी सुरक्षा के लिखित आश्वासन की मांग पर अड़कर धरना प्रदर्शन कर रहा है।
भले राहुल भट के हत्यारों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया हो, लेकिन जिस तरह सरकारी दफ्तर में घुस कर राहुल भट की हत्या हुई है, उस देखकर कश्मीरी पंडितों का कहना है, कि जब हम सरकारी दफ्तर में भी सुरक्षित नहीं हैं, तब बाहर आने जाने के दौरान कैसे सुरक्षित रहने वाले हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हालांकि राहुल भट की हत्या की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने की घोषणा करते हुए कहा है कि मृतक कर्मचारी की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाएगी और उनकी बेटी की शिक्षा पर होने वाले खर्च को भी प्रशासन वहन करेगा। लेकिन स्थानीय कश्मीरी पंडितों का कहना है कि सरकारी आश्वासन अब तक खोखले ही सिद्ध हुए हैं। कश्मीरी पंडित उनके जीवन की रक्षा करने में सरकार के ‘‘नाकाम’’ रहने के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं। वे सरकार से समुदाय की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं।
रीजनल नार्थ
राहुल भट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय में खौफ का मौहाल