लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इससे जुड़ी नीति को समाप्त करने पर मुहर लग गई है। हालांकि, जिन मदरसों को अभी अनुदान मिल रहा है, उनकी स्थिति प्रभावित नहीं होगी। यूपी सरकार ने इस निर्णय से साफ कर दिया है कि अब सरकारी स्कूलों की तरफ ही अधिक ध्यान दिया जाएगा। पिछली सपा सरकार ने अरबी-फारसी मदरसों में से 2003 तक के आलिया स्तर के स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान देने का फैसला किया था। आलिया में 9वीं-10वीं स्तर की पढ़ाई होती है। सपा सरकार ने नीति के तहत 100 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल किया गया था, लेकिन समान मानक वाले 46 मदरसे छूट गए थे। इनमें से कुछ मदरसा संचालक कोर्ट गए थे। अब कैबिनेट ने सपा सरकार की उस नीति को ही समाप्त कर दिया है, जिसके तहत मदरसों को अनुदान दिया जाता था। कैबिनेट ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गोरखपुर-लिंक एक्सप्रेसवे की निर्माणकर्ता एजेंसियों की राहत आगे बढ़ा दी है।
यह राहत अब 31 अक्टूबर तक जारी रहेगी। इसकी अवधि 31 मार्च को खत्म हो गई थी। इसके तहत निर्माणकर्ता कंपनियों को प्रति एक किमी के निर्माण के बाद ही उसका भुगतान कर दिया जाएगा। सामान्य तौर पर यह भुगतान 3 किलोमीटर निर्माण पूरा होने पर किया जाता है। कोविड के कारण यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं पिछली बार निरस्त कर दी गई थीं। इसके बाद परीक्षार्थियों को 9वीं एवं 10वीं के प्री बोर्ड के नंबरों के आधार पर बिना परीक्षा के पास कर दिया गया था। चूंकि, यह बदलाव पहली बार और एकमात्र सत्र के लिए किया गया था, इसलिए इसे कैबिनेट ने कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान कर दी है।
रीजनल नार्थ
यूपी सरकार अब किसी नए मदरसे को अनुदान सूची में शामिल नहीं करेगी - अब सरकारी स्कूलों की तरफ ही अधिक ध्यान दिया जाएगा