अमेरिका ने खबर दी है कि भारत जल्द ही रूस से मिले मिसाइल सिस्टम एस-400 को पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात करने वाला है। यह सतह से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे आधुनिक और प्रभावी मिसाइल प्रणाली है। अगर भारत इसे कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर तैनात कर देता है, तो पाकिस्तान चाह कर भी कोई हवाई हमला हमारी सीमा के अंदर नहीं कर पाएगा। अगर उसने हमला किया भी तो यह एक बार में उसके बत्तीस विमानों को मार कर गिरा सकती है। मगर अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदे। अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है, मगर वह भी एक ब्रह्मास्त्र से खौफ खाता है। वह है रूस का एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली। भारत ने रूस से इसका सौदा किया तो अमेरिका का पारा चढ़ गया। असल में एस-400 की तैनाती का मतलब है, देश की सुरक्षा की गारंटी और इस मिसाइल के प्रहार का मतलब है, आसमान में अभेद्य कवच। यह सतह से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे आधुनिक और प्रभावी मिसाइल प्रणाली है। अगर भारत मिसाइल रक्षा प्रणाली को कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर तैनात कर देता है, तो पाकिस्तान चाह कर भी कोई हवाई हमला हमारी सीमा के अंदर नहीं कर पाएगा। अगर उसने हमला किया भी तो यह एक बार में उसके 32 विमानों को मार कर गिरा सकता है। इस रक्षा प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है सीमा पर इस रक्षा प्रणाली की तैनाती से चीन और पाकिस्तान पर होने वाला असर, क्योंकि यही हमारे दुश्मन देश हैं। मगर अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत रूस से यह मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदे। इस संबंध में अमेरिका में 2017 में एक कानून लाया गया था, ताकि अगर कोई देश विरोध के बावजूद रूस से कोई रक्षा सौदा करता है तो उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। सवाल है कि क्या अमेरिका अब भारत पर भी प्रतिबंध लगाएगा? भारत को एस-400 की कुल पांच रेजीमेंट मिलने वाली हैं, जिनमें पांच मोबाइल कमांड सेंटर, दस रडार और दस लांचर होंगे। यानी पाकिस्तान और चीन भारत पर हवाई हमला करने के बारे में अब शायद सोच भी नहीं पाएंगे। अमेरिका शुरू से ही नहीं चाहता था कि भारत कभी रूस से इस मिसाइल रक्षा प्रणाली को खरीदे। अमेरिका में 2017 में एक कानून आया था कि अगर कोई देश रूस के साथ हथियारों का सौदा करता है तो उसे प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इस कानून को वहां 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्टÓ कहते हैं। अमेरिका ने यह कानून हथियारों के निर्यात में रूस को कमजोर करने के लिए बनाया था। अभी पूरी दुनिया में हथियारों का सबसे ज्यादा 37 प्रतिशत निर्यात अमेरिका करता है। रूस की हथियारों के बाजार में हिस्सेदारी बीस प्रतिशत के आसपास है। 2018 में जब चीन ने रूस से यही एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी, तो अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इसी तरह तुर्की ने भी यह प्रणाली खरीदी, तो अमेरिका ने उस पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका ने उसका निर्यात लाइसेंस रद्द करके उसे काली सूची में डाल और उसकी परिसंपत्तियों को जब्त कर लिया था। संभव है कि भारत के मामले में भी कुछ समय बाद अमेरिका इसी तरह के कदम उठाए। हालांकि भारत के मामले में अपवाद की स्थिति भी बन सकती है। डोनाल्ड ट्रंप ने संसद में एक कानून पास करवाया था, जिसके तहत अमेरिका ने उन देशों को प्रतिबंध लगाने वाले कानून से छूट दे दी थी, जो पहले से रूस से रक्षा संबंधी लेनदेन कर रहे थे। भारत के संदर्भ में यह कानून लागू होता है, क्योंकि आज भी भारत के पास ज्यादातर हथियार रूस के हैं। 1960 के दशक से ही रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी रहा है।
(लेखक-सिद्धार्थ शंकर)
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