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वैज्ञानिकों को चांद की सतह के नीचे मिला जल का छिपा भंडार, धरती से नहीं ले जाना होगा पानी 

वैज्ञानिकों को चांद की सतह के नीचे मिला जल का छिपा भंडार, धरती से नहीं ले जाना होगा पानी 

वॉशिंगटन । चंद्रमा में जीवन की संभावनाओं को लेकर वैज्ञानिकों की कवायद जारी है। हालांकि, इंसान इस पर कदम रख चुका है। लेकिन अब यहां पर रहने की योजना पर काम किया जा रहा है। कई स्पेस एजेंसियां चांद पर बेस बनाना चाहती हैं। इंसान का जीवन बिना पानी के संभव नहीं और एक बेस को धरती से पानी ले जाकर चलाना बेहद खर्चीला होगा। चांद पर पानी को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि उसकी सतह के नीचे इतना पानी है जिससे बेस की सभी जरूरतें पूरी हो जाएंगी। एक स्टडी के मुताबिक प्राचीन ज्वालामुखी विस्फोटों से निकली गैसों ने चांद के ध्रुवों पर सैकड़ों फीट मोटी बर्फ की चादर छोड़ी होगी। शोधकर्ता मानते हैं कि दो से चार अरब साल पहले निकले वाष्प का पांचवा हिस्सा क्रेटर में जमा हो गया होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के शोध के मुताबिक तब चांद की हजारों वर्ग मील लंबी सतह लावा से ढकी हुई थी।
भौतिक विज्ञानी एंड्रयू विल्कोस्की ने कहा कि चांद के ठंडा होने के कारण हम ऐसा मानते हैं कि वहां पानी होगा। क्योंकि समय के साथ वहां तापमान में भारी कमी आई। रिसर्च के सह लेखक प्रो पॉल हेन ने कहा कि अगर चांद पर पानी मिलता है तो ये खोजकर्ताओं के लिए एक वरदान होगा। ये पीने के साथ-साथ रॉकेट के ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो सकेगा। यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स के एक शोध में हाल ही में दावा किया गया था कि चांद के पत्थरों के नीचे मौजूद बर्फ के रूप में पानी पृथ्वी से ही पहुंचा है। वैज्ञानिकों ने कहा था कि चांद जब पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर से होकर गुजरता है तो पानी बनाने वाले आयनों को खींचता है।
 

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