वॉशिंगटन । ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाएं वैज्ञानिकों के साथ आम लोगों की भी जिज्ञासा का विषय होती है खासतौर अंतरिक्ष में रूचि रखने के लिए खुशखबरी है। अगले दो दिन आकाश में सितारों की बारिश होने जा रही है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक 30 और 31 मई को उल्कापिंडों की धरती पर बारिश होने जा रही है। नासा ने बताया कि पिछले करीब 20 साल बाद पहली बार उल्कापिंडों की इतनी जोरदार चमक आकाश में देखने को मिल सकती है। नासा ने बताया कि यह उल्कापिंडों की बारिश एक धूमकेतु की वजह से होगी। दरअसल, धूमकेतु बर्फ और धूल से बना ऑब्जेक्ट होता है जिसकी एक पूंछ भी होती है। यह आमतौर पर सूरज के चक्कर लगाता है। जब यह धूमकेतु धरती की कक्षा के बेहद करीब आता है तो हमारी गुरुत्वाकर्षण की शक्ति उसके टुकड़ों को धरती के वातावरण की ओर खींच लेती है। जब ये टुकड़े धरती के वातावरण में आते हैं तो जल उठते हैं और इससे आकाश में तेज चमक दिखाई देती है।
यह उल्कापिंड एसडब्ल्यू-3 धूमकेतु से निकलेंगे और धरती की ओर आएंगे। इस धूमकेतु की पहचान एक सदी पहले दो जर्मन खगोलविदों ने की थी। उन्हीं के नाम पर इसका नाम एसडब्ल्यू-3 रखा गया है। यह धूमकेतु 5.4 साल में एकबार सूरज के चक्कर लगाता है लेकिन यह 40 साल के लिए रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था। इसे 1935 से 1974 के बीच कम से कम 8 बार देखा गया था। यह मार्च 1979 में फिर दिखाई दिया लेकिन उसके बाद यह 1995 में दिखा। यह उस समय पहले की तुलना में 600 गुना ज्यादा चमकदार नजर आया।
यह धूमकेतु अब कई भागों में बंट गया है। नासा ने बताया कि 31 मई की रात में हर घंटे 1000 उल्कापिंडों के बारिश की संभावना है। हालांकि अगर धुमकेतू के मलबे के अलग होने की दर धीमी होगी तो धरती पर उल्कापिंडों की बारिश नहीं होगी। नासा के मुताबिक मंगलवार को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 30 पर उल्कापिंड धरती पर तेजी से गिरेंगे। भारतीयों के लिए दुखद यह रहेगा कि भारत में इस समय दिन होने की वजह से उल्कापिंडों को देख पाना संभव नहीं होगा। हालांकि इसका कई जगहों से लाइव प्रसारण यूट्यूब पर किया जाएगा जहां से उसे आसानी से देखा जा सकता है। अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको और लैटिन अमेरिका में रहने वाले लोग इस उल्कापात को देख सकेंगे।
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उल्कापात से रोशन होगा आकाश, 2 दिनों तक हर घंटे बरसेंगे 1000 उल्कापिंड