आयशर मोटर्स के मुख्य ब्रांड रॉयल एनफील्ड की ब्रिकी में आ रही सुस्ती कंपनी के लिए बड़ी चुनौती है। केरल और महाराष्ट्र से कम डिमांड आने, एमएंडएम की जावा जैसी बाइक्स की लांचिंग के बीच बढ़ते प्रतिस्पर्धा और 2021 में हार्ली डेविडसन और बजाज ट्रायंफ की लांचिंग के चलते आनेवाले क्वॉर्टर्स में एनफील्ड की वॉल्यूम ग्रोथ के सिंगल डिजिट में रहने के आसार हैं। एनफील्ड की सेल्स वॉल्यूम दिसंबर 2018 क्वॉर्टर में 6 प्रतिशत गिरकर 194,473 यूनिट रह गई। ज्यादा इंश्योरेंस कॉस्ट के चलते प्रीमियम बाइक्स की ओनरशिप कॉस्ट में हो रही बढ़ोतरी होने से इसकी सेल्स ग्रोथ में जुलाई से ही गिरावट आ रही है। कंपनी के वॉल्यूम पर बना दबाव नवंबर से बढ़ गया जब कंपनी ने एंटी ब्रेकिंग सिस्टम के चलते कॉस्ट में हुई बढ़ोतरी का बोझ कस्टमर्स पर डालना शुरू कर दिया। कंपनी ने पिछले तीन महीनों में अपनी बाइक्स का दाम 6 प्रतिशत बढ़ाया है और आने वाले कुछ क्वॉर्टर्स में इसकी दाम 6-7 प्रतिशत और बढ़ सकती है।
कंपनी ने फिस्कल ईयर 2019 में 870,000-880,000 एनफील्ड बाइक्स का प्रॉडक्शन होने का अनुमान दिया है। यह 6-7 प्रतिशत सालाना वॉल्यूम ग्रोथ के बराबर है और फिस्कल साल 2011 के बाद सबसे कम है। इसके बावजूद बाजार कंपनी की इस गाइडेंस के हासिल होने को लेकर संतुष्ट नहीं है। इस गाइडेंस को हासिल करने के लिए कंपनी को मार्च में खत्म हो रहे मौजूदा फिस्कल ईयर के अंतिम दो महीनों में हरेक में कम से 84,000 बाइक्स बेचनी होंगी। जून में 72000 बाइक्स की सेल्स को देखते हुए यह गाइडेंस हासिल होना मुमकिन नहीं लग रहा। बात दे कि बाजार में खुले उसके शोरूम में आनेवाली इनक्वायरी घट रही है। पिछले छह महीने में प्रीमियम बाइक सेगमेंट में एनफील्ड का वॉल्यूम दूसरी कंपनियों से कम रहा है। 125 सीसी की बाइक वाले सेगमेंट में कंपनी का मार्केट शेयर फिस्कल ईयर 2019 में घटकर 25 प्रतिशत रह गया है जो पिछले फिस्कल ईयर में 27 प्रतिशत था। कंपनी पिछले 10 क्वॉर्टर से 30-32 प्रतिशत का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन बनाए रखने में कामयाब रही है लेकिन कॉम्पिटिशन में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए इसमें कम आ सकती है।
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रॉयल एनफील्ड की घटती वॉल्यूम ग्रोथ आयशर मोटर्स के लिए बड़ी चुनौती