नई दिल्ली । दिल्ली के एक पेशेवर के लिए कर्नाटक में कृषि भूमि का छोटा सा भूखंड हासिल करना काफी मुश्किल कार्य है, क्योंकि जमीनी दस्तावेज मुख्य रूप से स्थानीय भाषा में थे। इसके बाद पेशेवर ने कहा, दस्तावेजों को समझने के लिए मुझे स्थानीय ब्रोकरों और वकीलों पर निर्भर रहना पड़ता था। वे अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध नहीं थे। इसतरह देशभर में कई लोग भूमि अभिलेखों में भाषाई बाधाओं का सामना कर रहे हैं। इसकारण सरकार अब ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ (आरओआर) का 22 भाषाओं में अनुवाद करना चाहती है।
रिकॉर्ड ऑफ राइट्स (आरओआर) या जमाबंदी एक प्रकार का भूमि रिकॉर्ड है, जो भूमि जोत के विवरण को दर्शाता है। भूमि संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव सोनमोनी बोरा ने बताया, ‘‘भूमि रिकॉर्ड के सबसे बड़े मुद्दों में से एक भाषा है। भारत में कई भाषाएं हैं। हम आरओआर का अनुवाद करने की कोशिश कर रहे हैं। यह विभाग केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि आठ राज्यों-महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, पुडुचेरी, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में एक पायलट पहले ही आयोजित किया जा चुका है। बोरा ने कहा, एक सॉफ्टवेयर तैयार है। हम जल्द ही इस किसी भी समय शुरू करने जा रहे हैं।’’
बोरा ने कहा कि 22 भाषाओं में आरओआर का अनुवाद एक बार में नहीं होगा। शुरुआत में राज्यों को आरओआर का तीन अनिवार्य भाषाओं यानी अंग्रेजी, हिंदी और राज्य भाषा तथा तीन वैकल्पिक भाषाओं में अनुवाद करने के लिए कहा जाएगा। वैकल्पिक भाषाओं का चयन राज्य सरकारें अपनी जरूरत के अनुसार कर सकती हैं। उन्होंने कहा, यह पहल भूमि रिकॉर्ड के क्षेत्र में भाषा बाधा को तोड़ देगी। बहुभाषी आरओआर की महत्वाकांक्षी परियोजना पर लगभग 11 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और इस एक साल में पूरा करने का लक्ष्य है।’’
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भूमि रिकॉर्ड: मोदी सरकार जल्द ही कई भाषाओं में आरओआर उपलब्ध कराएगी आठ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा