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 पहले भी अलग-अलग चुनाव चिह्न देख चुकी है शिवसेना  - 54 साल पहले शिवसेना की पहचान थी 'ढाल-तलवार'  - तीन दशक पुरानी है उद्धव ठाकरे की 'मशाल'

 पहले भी अलग-अलग चुनाव चिह्न देख चुकी है शिवसेना  - 54 साल पहले शिवसेना की पहचान थी 'ढाल-तलवार'  - तीन दशक पुरानी है उद्धव ठाकरे की 'मशाल'

मुंबई,। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे द्वारा पार्टी के ४० विधायकों के साथ बगावत करने के बाद शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा ठोंक दिया था. इतना ही नहीं पार्टी के चुनाव चिन्ह तीन कमान देने की भी मांग की थी. मगर सुप्रीम कोर्ट से होता हुआ ये मामला चुनाव आयोग के समक्ष पहुंचा और चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को 'बालासाहेबांची शिवसेना' के नाम के साथ 'ढाल और दो तलवार चुनाव चिन्ह दिया. वहीं उद्धव की पार्टी 'शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)' हुई और उन्हें चुनाव चिन्ह 'मशाल' दी गई। इसके साथ ही दोनों गुटों के बीच जारी पहचान की जंग पर विराम लग गया है। खास बात है कि दोनों गुटों को मिले चिह्न भी खास हैं। दरअसल, इतिहास बताता है कि दोनों चिह्न शिवसेना की राजनीतिक यात्रा में शामिल रहे हैं। 
- एक ढाल, दो तलवार
बात साल 1968 की है, तब शिवसेना करीब 2 साल की ही थी और मुंबई महानगरपालिका चुनाव में दांव आजमाने की तैयारी कर रही थी। तब पार्टी ने ढाल और दो तलवार के चिह्न पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, पार्टी का नाम जन्म यानि जून 1966 में ही तय हो गया था। इसका श्रेय पार्टी संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के पिता और समाज सुधारक प्रबोधंकर केशव सीताराम ठाकरे को जाता है. 
- मशाल
1990 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में छगन भुजवल के रूप में शिवसेना का एक ही विधायक चुना गया था। उस दौरान उन्होंने मुंबई के मझगांव क्षेत्र से मशाल के चिह्न पर ही चुनावी जीत हासिल की थी। इसे पहले साल 1984-85 में लोकसभा चुनाव के दौरान शिवसेना ने भाजपा के कमल चिह्न पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना और भाजपा के रिश्तों में खटास आ गई थी और बाल ठाकरे ने भाजपा पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। शिवसेना संस्थापक ने मशाल और कमल को लेकर बनाए एक कार्टून में भी भाजपा पर तंज कसा था।
- पहले भी अलग-अलग चुनाव चिह्न देख चुकी है पार्टी
साल 1966 से अस्तित्व में आई शिवसेना ने जब 1968 में मुंबई मनपा का चुनाव लड़ा, तो पार्टी का चिह्न ढाल और तलवार था। वहीं, 1980 के समय में पार्टी का रेल इंजन चिह्न चर्चा में रहा। साल 1978 का चुनाव पार्टी ने रेल इंजन के निशान पर ही लड़ा था। जानकार बताते हैं कि साल 1985 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार टॉर्च, बैट-बॉल जैसे चिह्न लेकर मैदान में उतरे थे।
 

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