नई दिल्ली । हादसे में आंत फटने कैंसर समेत दूसरी दिक्कतों के इलाज के दौरान शरीर से मल-मूत्र निकालने के लिए अब स्टोमा बैग लटकाने की जरूरत नहीं होगी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली ने स्टैनफोर्ड केयर के साथ मिलकर एक कैप तैयार किया है। इसको स्टोमा बैग की जगह लगाया जाएगा। इसके बाद मरीज जरूरत पड़ने पर कैप का ढक्कन खोलकर मल-मूत्र को बाहर निकाल सकेगा। एम्स में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट के प्रोफेसर डॉ. निहार रंजन दास ने बताया कि बड़ी आंत की समस्या के बाद बनाए गए स्टोमा में अब बैग की जगह कैप लगाया जाएगा। इस कैप का परीक्षण 50 मरीजों पर किया जा चुका है। अब तक परिणाम बेहतर आए हैं। इसे स्टोमा पर चिपका दिया जाता है। यह बैग के मुकाबले ज्यादा समय तक चलता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल यह कैप उन्हीं मरीजों पर लगाया जा सकता है जिनके मल-मूल में ज्यादा तरल मात्रा न हो। आने वाले दिनों में कैप के स्तर में और सुधार किया जाएगा ताकि रिसाव की समस्या खत्म हो जाए। इसमें सुधार के बाद ऐसे अन्य सभी प्रकार के स्टोमा के मरीजों पर यह कैप लगाया जा सकेगा। इस दिशा में भी प्रयास किया जा रहा है।
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स्टोमा के मरीजों को अब नहीं होगी बैग लटकाने की जरूरत