अमेरिकी अध्ययनकर्ताओं की माने तो शराब दिमाग के लिए नुकसानदायक होती है, खासतौर पर किशोरों के लिए। अमरीका में यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। बहुत ज्यादा अल्कोहल मस्तिष्क पर असर डालता है। आसपास के माहौल को भांपने में शरीर गड़बड़ाने लगता है। फैसला करने और एकाग्र होने की क्षमता कमजोर होने लगती है। शैंपेन का घूंट मुंह में जाते ही दिमाग और शरीर पर बेहद अलग असर होने लगता है। मुंह में जाते ही शैंपेन को कफ झिल्ली सोख लेती है। घूंट के साथ बाकी शराब सीधे छोटी आंत में जाती है। छोटी आंत भी इसे सोखती है। फिर यह रक्त संचार तंत्र के जरिए लीवर तक पहुंचती है। लीवर में ऐसे एन्जाइम होते हैं जो अल्कोहल को तोड़ सकते हैं। यकृत यानी लीवर हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर करता है। अल्कोहल भी हानिकारक तत्वों में आता है लेकिन यकृत में पहली बार पहुंचा अल्कोहल पूरी तरह टूटता नहीं है। कुछ अल्कोहल दिमाग सहित अन्य अंगों तक पहुंच ही जाता है। अल्कोहल कफ झिल्ली को प्रभावित करता है। भोजन नलिका पर असर डालता है। सिर में पहुंचने के बाद अल्कोहल दिमाग के न्यूरो ट्रांसमीटरों पर असर डालता है। इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र का केंद्र प्रभावित होता है। अल्कोहल की वजह से न्यूरो ट्रांसमीटर अजीब से संदेश भेजने लगते हैं और तंत्रिका तंत्र भ्रमित होने लगता है।लंबे वक्त तक ऐसा होता रहे तो शरीर हानिकारक तत्वों से खुद को नहीं बचा पाता है। इसके दूरगामी असर होते हैं।