मोदी सरकार ने टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं, उसका इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी पब्लिक सेक्टर की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के स्टॉक परफॉर्मेंस पर गहरा असर होगा। इन कंपनियों का परफॉर्मेंस पिछले तीन महीनों से कमजोर है और यह ट्रेंड केंद्र की तरफ से सरकारी खजाने को भरने के लिए राजकोषीय मोर्चे पर उठाए गए कदमों के कारण बन रह सकता है। सरकार ने ऑटो फ्यूल की एक्साइज ड्यूटी में लगभग दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। ऑटोमोबाइल फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी किए जाने से सरकार को सालना आधार पर 28600 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी होगी। जबकि मौजूदा फिस्कल ईयर के बाकी बचे समय में 21,000 करोड़ की आमदनी होगी। लेकिन इससे निवेशकों को चिंता होने लगी है कि क्रूड ऑयल के दाम में कमी आने पर कंपनी को होने वाली अतिरिक्त कमाई का इस्तेमाल ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मार्केटिंग मार्जिन बेहतर बनाने के बजाय सरकारी खजाना भरने में किया जाएगा।
जुलाई में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मार्केटिंग मार्जिन डीजल पर 4.9 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 4.4 रुपये प्रति लीटर रहा है जबकि नॉर्मलाइज्ड लांग टर्म मार्जिन 2.5 रुपये प्रति लीटर है।ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को फ्यूल मार्केटिंग से होने वाली आमदनी उनके टोटल ऑपरेटिंग प्रॉफिट का लगभग दो तिहाई होता है। मार्जिन में हर 50 पैसे की बढ़ोतरी से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ 6 प्रतिशत से 15 प्रतिशत की रेंज में बढ़ने की संभावना बनती है। इसके अलावा अंतरिम बजट में मौजूदा फिस्कल ईयर के वास्ते दिए गए ऑयल सब्सिडी का अनुमान जस का तस रखा गया है। मतलब 2020 में सब्सिडी रोलओवर ज्यादा रहेगा जिससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का वर्किंग कैपिटल बढ़ेगा और उनके मुनाफे में सेंध लगेगी। बजट कैश बेस्ड एकाउंटिंग मेथडल पर काम करता है जिसमें पिछले फिस्कल ईयर की अनपेड सब्सिडी को अगले फिस्कल ईयर में रोलओवर कर दिया जाता है। अगर क्रूड ऑयल का दाम 65 प्रति बैरल के लेवल पर रहता है, तब लगभग 17000 करोड़ की सब्सिडी अगले वित्तवर्ष में रोलओवर की जाएगी।
सरकार ने इसके अलावा जो प्रस्ताव दिए हैं, उनके मुताबिक किसी कंपनी में उसकी शेयरहोल्डिंग के कैलकुलेशन में दूसरी पब्लिक सेक्टर कंपनियों में उसके स्टेक को शामिल करने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर गहरा असर होगा। मिसाल के लिए अगर किसी पब्लिक सेक्टर यूनिट में एलआईसी या किसी दूसरी सरकारी कंपनी का स्टेक है तो उस सरकारी होल्डिंग माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि बीपीसीएल में सरकार की होल्डिंग पुरानी मेथडलॉजी के हिसाब से 54.2 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाएगी। इसी तरह इंडियन ऑयल में सरकार की होल्डिंग 52 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत हो जाएगी।
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सरकारी ऑयल कंपनियों पर भारी पड़ेगी सरकार के द्वारा बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी