एक ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि कार्पल टनल सिंड्रोम के जो मरीज सर्जरी करवा चुके हैं उनमें हार्ट फेलियर और अमायलॉयडोसिस का खतरा अधिक बढ़ जाता है। लेकिन हार्ट फेलियर का खतरा किसी भी व्यक्ति को जीवनकाल के किसी भी क्षण अपनी गिरफ्त में ले सकता है। इसलिए जरूरी है कि हार्ट फेलियर के बारे में अहम जानकारी हो ताकि वक्त पर इसके लक्षणों की पहचान कर इससे बचा जा सके। आमतौर पर लोग हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर को एक ही समझ लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। हार्ट अटैक बल्ड क्लॉट की वजह से होता है। यह क्लॉट कोरोनरी आर्टरीज में बन जाता है जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन हार्ट तक नहीं पहुंच पाती। वहीं हार्ट फेलियर कई वजहों से हो सकता है, जैसे कि डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर या फिर कोरोनरी आर्टरी डिजीज। हार्ट फेलियर की स्थिति में डॉक्टरी इलाज करवाना चाहिए और कोई भी दवाई डॉक्टर से परामर्श लिए बिना नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा अपने लाइफस्टाइल और खान-पान में भी बदलाव करने की जरूरत होती है। हेल्दी खाएं-पिएं। सही समय पर सोएं, रोजाना एक्सर्साइज करें। हरी सब्जियां और फल खाएं और पर्याप्त मात्रा में लिक्विड डायट लें। बता दें कि आजकल युवाओं में हार्ट संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इनमें सबसे कॉमन हैं हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर। हार्ट फेलियर को कंजेस्टिव हार्ट फेलियर भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हार्ट की मसल्स जरूरत के मुताबिक ब्लड पम्प नहीं कर पातीं। इसकी वजह से हार्ट यानी दिल कमजोर हो जाता है।
नेशन
सर्जरी करवा चुके मरीजों में हार्ट फेलियर का खतरा ज्यादा -हार्ट अटैक होता है बल्ड क्लॉट की वजह से