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13 जुलाई की वो मनहूस शाम जब दहल उठी मुंबई

13 जुलाई की वो मनहूस शाम जब दहल उठी मुंबई

आज से ठीक 8 साल पहले मायानगरी मुंबई को आतंकवादियों ने एक के बाद एक तीन बम धमाके कर दहला दिया था. उन तीन धमाकों में 19 लोगों की जान चली गई थी जबकि करीब 150 लोग घायल हो गए थे. जी हां, हर रोज की तरह १३ जुलाई २०११ की वो शाम जब हमेशा की तरह उस दिन भी मुंबई दौड़ रही थी. सड़कों पर भीड़ थी. हर तरफ गाड़ियों का शोर था. लोग शाम के वक्त अपने घरों को लौट रहे थे. किसी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही पलों में ये सपनों का शहर खौफ की जद में आ जाएगा. मगर साजिश कुछ ऐसी ही थी कि जैसे ही शाम के वक्त घड़ी की सुई 6 बजकर 54 मिनट पहुंची. मुंबई के एक इलाके में पहला धमाका हुआ. वो इलाका था दक्षिणी मुंबई का झवेरी बाजार. बम एक मारुति एस्टीम कार में लगाया गया था. अभी लोग वहां संभले भी नहीं थे. कुछ समझे भी नहीं थे कि मुंबई के ओपेरा हाउस के पास, चर्नी रोड पर 6 बजकर 55 मिनट पर एक जोरदार धमाका हुआ. उस वक्त बारिश का मौसम था, लिहाजा बम एक छतरी में लगाया गया था. इन दोनों धमाकों से शहर में हड़कंप मच गया. अफरा तफरी का माहौल था. लोग समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर ये हुआ क्या है. तभी 7 बजकर 5 मिनट पर दादर इलाके में बस स्टैंड के बिजली पोल पर लटकाए गए बम में विस्फोट हुआ. हर तरफ धूल और धुएं का गुबार था. तीनों जगहों पर मुर्दा जिस्मों के टुकड़े पड़े थे. किसी के हाथ कहीं थे, तो किसी पांव. कोई घायल दर्द कराह रहा था, तो कोई तड़प रहा था. तीनों जगहों पर खौफनाक मंजर था. इन तीनों धमाकों में 19 लोगों की जान चली गई थी और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. सभी घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. अधिकांश घायलों को मुंबई जेजे अस्पताल, सेंट जॉर्ज अस्पताल, हरिकिसानदास अस्पताल और जीटी अस्पताल ले जाया गया था. इन तीन सीरियल धमाकों के बाद मुंबई में कुछ घंटों के लिए फोन लाइन और संचार माध्यम ठप्प हो गए थे. धमाकों के तुरंत बाद मुंबई पुलिस ने एक एसएमएस लोगों को भेजा था जिसमें लोगों से सावधान रहने और घर के अंदर रहने की अपील की गई थी.
- 11 जुलाई 2006 को भी हुए थे सीरियल ब्लास्ट
इससे पहले भी 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों को आतंकियों ने निशाना बनाया था. सात मिनट में सात धमाके. जी हां, उस दिन जैसे ही घड़ी में शाम के 6 बजकर 20 मिनट हुए थे. तभी अचानक लोगों से भरे एक स्टेशन पर जोर का धमाका हुआ. वो स्टेशन था खार रोड और बांद्रा स्टेशन. जहां पर हजारों का हुजूम लोकल ट्रेन पकड़ने के लिए खड़ा था. लेकिन उन लोगों को पता नहीं था कि जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे की तरफ बढ़ रही है, वैसे वैसे लोगों की जिंदगी मौत की अंधेरी खाई की तरफ बढ़ रही है. बस कुछ और मिनट बीते और उसके साथ शुरू हुआ धमाकों का सिलसिला. कुछ लोकल रेलगाड़ियों में एक के बाद एक कई बम धमाके हुए और घर जाने के लिए स्टेशन पर खड़े लोगों में से करीब 189 लोग दुनिया से हमेशा के लिए रुखसत हो गए. जबकि करीब 900 लोग घायल हो गए थे. मुंबई लोकल में 11 जुलाई 2006 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में मकोका कोर्ट ने 9 साल बाद 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था. जबकि इस मामले 13 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे. इसी कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ 6 अगस्त 2007 को आरोप तय किए थे. सभी आरोपियों पर आतंकी हमले की साजिश रचने और राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे आरोप तय किए गए थे. फैसले के वक्त सभी आरोपी कोर्ट में मौजूद थे. एटीएस ने इन सभी को 2006 में 20 जुलाई से 3 अक्टूबर के बीच गिरफ्तार किया था. चार्जशीट 30 आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई थी. इनमें 13 पाकिस्तानी और 17 भारतीय शामिल थे.

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