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5 साल में सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर 32.5 लाख करोड़ जुटाएगी सरकार पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने 40.92 अरब डॉलर जुटाये थे

 5 साल में सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर 32.5 लाख करोड़ जुटाएगी सरकार पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने 40.92 अरब डॉलर जुटाये थे

केंद्र की मोदी सरकार अगले पांच साल में सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर करीब 47.4 अरब डॉलर (करीब 32.5 लाख करोड़) जुटाने का प्लान पर काम कर रही है।आने वाले पांच सालों में सरकार इन सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 40 फीसदी करना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो बीते दो दशक में प्राइवेटाइजेशन को लेकर केंद्र सरकार का यह पहला सबसे बड़ा कदम होगा। पिछले सप्ताह ही अपने बजट भाषण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को सरकार कम करेगी। हालांकि, इस दौरान उन्होंने कहा था कि यह केस के आधार पर निर्भर करेगा। मोदी सरकार के इस प्लान से प्राइवेटाइजेशन की रफ्तार तेज होगी। साथ ही,साल-दर-साल सालाना विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी कई कंपनियों में हिस्सेदारी बेची थी,जिससे सरकार को 40.92 अरब डॉलर (करीब 28.04 लाख करोड़) की पूंजी जुटाने में कामयाबी मिली थी।कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल यानि ने 2009-2014 के दौरान यह रकम केवल 14.52 अरब डॉलर ही था। इस प्रकार एनडीए अपने पहले कार्यकाल में यूपीए की तुलना में तीन गुना अधिक रकम जुटाने में कामयाब रही। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सरकार ऑयल-एंड-नैचुरल-गैस-कॉरपोरेशन ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन,गेल इंडिया लिमिटेड, एनएचपीसी लिमिटेड,एनटीपीसी लिमिटेड,एनएमडीसी लिमिटेड, कोल इंडिया और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से लिखा, हमने इस संबंध में हिसाब लगाया है। हमारे हिसाब के अनुसार, बैंकों को छोड़ दें तो अन्य सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी घटाकर 40 फीसदी तक करने से 32.5 लाख करोड़ जुटाया जा सकता है।

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