YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

नेशन

यूएन वूमेन रिपोर्ट- भारत में 4.5 फीसदी परिवार सिंगल मदर्स पर आश्रित

यूएन वूमेन रिपोर्ट- भारत में 4.5 फीसदी परिवार सिंगल मदर्स पर आश्रित

कभी अबला कही जाने वाली भारतीय नारी अब सबला बनकर उभर रही है। देश में आज 4.5 फीसदी घर अकेली कमाने वाले औरतों के दम पर चल रहे हैं। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र महिला (यूएन वूमेन) की एक रिपोर्ट हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिंगल मदर्स की संख्या 1.3 करोड़ है। रिपोर्ट के मुताबिक अनुमानित ऐसी ही 3.2 करोड़ महिलाएं संयुक्त परिवारों में भी रह रही हैं। यह आंकड़े 89 देशों के परिवारों का सर्वेक्षण करने के बाद प्राप्त किए गए हैं। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि दस में से आठ सिंगल पेरेंट परिवारों को महिलाएं (84 फीसदी) चला रही हैं। यानी 10.13 करोड़ परिवारों में महिलाएं अपने बच्चों के साथ रहती हैं। जबकि कई अन्य सिंगल मदर संयुक्त परिवारों में रहती हैं। रिपोर्ट में यह बात भी साबित हुई है कि महिला-पुरुष के देरी से शादी करने की वजह से महिलाओं की स्थिति मजबूत हो रही है, लेकिन इस सकारात्मक बदलाव के बावजूद भारत में घर चलाने वाली सिंगल मदर के परिवार में गरीबी दर 38 फीसदी है, जबकि दंपति द्वारा चलाए जा रहे परिवार में 22.6 फीसदी।
इसके प्रमुख कारणों में से एक, रिपोर्ट कहती है कि जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (डीएचएस) के अनुसार केवल 26 प्रतिशत ही अपनी खुद की एक आय प्राप्त कर पाती हैं, जबकि उनमें से अधिकांश अपने पति या परिवार के अन्य पुरुष सदस्यों पर निर्भर होती हैं। रिपोर्ट में सिंगल मदर्स के नेतृत्व वाले परिवारों में अस्थिर आय का मुकाबला करने के लिए समाधान की पेशकश भी की गई है, जैसे कि विविध और गैर-भेदभावपूर्ण पारिवारिक कानून, सुलभ यौन और प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल, महिलाओं के लिए पर्याप्त आय की गारंटी और महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा की रोकथाम और त्वरित प्रतिक्रिया शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र महिला की उप कार्यकारी निदेशक अनीता भाटिया के मुताबिक इस मामले में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कुछ प्रगति देखने को मिली है। महिलाओं और लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है और उनके योगदान को कम आंका जाता है। सरकारों को 2030 के एजेंडे और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप निर्धारित समयसीमा और संसाधनों के साथ प्राथमिकताओं और कार्यों की पहचान करके लैंगिक समानता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना चाहिए।

Related Posts