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पहले की तुलना में आज की अभिनेत्रियों की होती है ज्यादा बेहतर देखभाल : फराह

पहले की तुलना में आज की अभिनेत्रियों की होती है ज्यादा बेहतर देखभाल : फराह

बॉलीवुड की जानी-मानी फिल्मकार-कोरियोग्राफर फराह खान का मानना है कि बीते दिनों की अभिनेत्रियों की तुलना में आज के जमाने में अभिनेत्रियों की बेहतर देखभाल की जाती है। फराह ने कहा मुझे ऐसा लगता है कि आज हर चीज की देखभाल कहीं ज्यादा की जाती है। उन्होने कहा कि पहले की तरह आधुनिक समय की लड़कियां भी बहुत मेहनती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले की लड़कियों को काम थोड़ा ज्यादा करना पड़ता था। उनके पास पर्सनल ट्रेनर्स, मैनेजर्स या वैनिटी वैन नहीं थे। उन्हें इस मामले में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी। फराह बीते जमाने की अभिनेत्रियों के साथ-साथ श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, काजोल, रानी मुखर्जी, तब्बू और मलाइका अरोड़ा से लेकर दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ, आलिया भट्ट, जान्हवी कपूर और सोनम कपूर तक के साथ काम कर चुकी हैं। 
इनके पास शाहरुख से लेकर ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ तक के साथ काम करने का अनुभव है। बात जब नृत्य की आती है तो फराह पहले की अभिनेत्रियों और आज के जमाने की अभिनेत्रियों के बीच तुलना करने से बचती हैं। फराह ने बताया 25 साल हो गए इस इंड़स्ट्री में। इस दौरान मैंने श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित  को भी कोरियोग्राफ किया है और आज की लड़कियों को भी। आप उनकी कल की अभिनेत्रियों के साथ तुलना नहीं कर सकते। 
साल 1992 में आई फिल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ के गाने ‘पहला नशा पहला खूमांर’ के स्लो-मोशन कोरियोग्राफी से फराह को रातो-रात पहचान मिली। इसके बाद फराह ने साल 2004 में आई फिल्म ‘मैं हूं न’ से निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा और बाद में उन्होंने ‘ओम शांति ओम’ (2007), ‘तीस मार खान’ (2010) और ‘हैप्पी न्यू ईयर’ (2014) जैसी फिल्में भी बनाई। फिलहाल फिल्मकार रोहित शेट्टी के साथ मिलकर किसी फिल्म के निर्माण में व्यस्त फराह ने कहा कि अपनी फिल्म को बनाने में उन्हें ज्यादा मजा आता, लेकिन यह एक थका देने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि उनके तीन बच्चे भी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मेगास्टार अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ‘सत्ते पे सत्ता’ (1982) की रीमेक बनाने के लिए फराह बिल्कुल तैयार हैं। रीमेक के बारे में बात करते हुए फराह ने बताया मेरे बच्चों ने पुरानी फिल्में नहीं देखी है। मुझे लगता है कि क्लासिक फिल्मों को छेडऩे की कोई आवश्यकता नहीं है, जैसे कि मैं ‘शोले’ की रीमेक बनाने के बारे में नहीं सोचूंगी, क्योंकि मुझे पता है कि यह प्रयोग सफल नहीं होगा। ऐसी फिल्में हर दौर में खरी उतरती है। 

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