गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल से कम उम्र की महिलाओं में गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा कम हो सकता है। विशेषज्ञों ने ऐसी गर्भ निरोधक गोलियों के ईजाद का दावा किया है। खाई जा सकने वाली इन गर्भ निरोधक गोलियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन दोनों हॉर्मोन मौजूद होते हैं। दुनियाभर में कम से कम 10 करोड़ महिलाएं हर दिन हॉर्मोनल गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल कर रही हैं। पहले के शोध से भी यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं मौखिक गर्भ निरोधक गोलियां लेती हैं उनमें गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा कम होता है। स्कॉटलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ अबेरदीन और डेनमार्क में यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के शोधकर्ताओं ने प्रजनन की उम्र वाली महिलाओं में अलग तरह के गर्भाशय कैंसर पर नई हॉर्मोनल गर्भ निरोधक गोलियों का अध्ययन किया। उन्होंने साल 1995 और 2014 के बीच डेनमार्क की 15 से 49 साल की करीब 19 लाख महिलाओं के आंकड़ों का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भाशय के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा उन महिलाओं में पाए गए जिन्होंने कभी हॉर्मोनल गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल नहीं किया था। हालांकि इसके ज्यादातर सबूत अध्ययन में पुरानी दवाओं के इस्तेमाल से संबंधित थे जिनमें एस्ट्रोजन और पुराने प्रोजेस्ट्रोन की काफी मात्रा होती है।
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गर्भाशय कैंसर का खतरा कम होता है गर्भनिरोधक गोलियों से -वैज्ञानिकों ने किया ऐसी गोली विकसित करने का दावा