बिहार में चमकी बुखार से निपटने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बिहार और यूपी सरकार को सोमवार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका को वकील शिवकुमार त्रिपाठी ने दाखिल किया है। याचिका में कहा गया कि पिछले 50 साल में करीब 50 हजार बच्चों की मौत चमकी बुखार से हुई है लेकिन अब तक इससे निपटने के स्थायी उपाय आज तक नहीं किया गया। रिकॉर्ड बताते हैं कि मॉनसून के साथ ही ये बीमारी बेतहाशा फैलती है, लिहाजा कोर्ट सरकारों को पुख्ता इंतजाम करने का निर्देश दे। पिछले हफ्ते बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर माना कि बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं हैं। बिहार सरकार ने यह भी कहा कि राज्य स्वास्थ्य विभाग में सभी स्तरों पर कम से कम 50 फीसदी पद रिक्त हैं। नीतिश सरकार का यह भी मानना है कि स्वास्थ्य विभाग में 47 फीसदी डॉक्टरों के पद और 71 फीसदी नर्सों के पद रिक्त हैं।
हलफनामे में बिहार सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य में उपलब्ध मानव संसाधनों में भी कमी है। सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने कहा कि मुजफ्फरपुर मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नजर बनाए हुए हैं। सरकार इस बीमारी पर काबू करने का हर संभव प्रयास कर रही है। अभी हाल में मुजफ्फरपुर में बारिश के बाद एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के अस्पताल पहुंचने का सिलसिला कम हुआ है, उधर गया में अज्ञात बीमारी से पीड़ित बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। गया में बीते गुरुवार को भी अज्ञात बीमारी से एक बच्चे की मौत हो गई। अज्ञात बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। बीमारी को बिहार में दिमागी बुखार और चमकी बुखार भी कहा जा रहा है। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कलेज और अस्पताल (एएनएमसीएच) में दो जुलाई से अबतक 33 बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है, जिनमें से आठ बच्चों की मौत हो चुकी है।
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चमकी बुखार: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बिहार और यूपी सरकार को भेजा नोटिस