भारतीय स्टेट बैंक की शोध इकाई ने कहा है कि चलन में मौजूद मुद्रा में बढ़ोतरी का मतलब यह नहीं है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। यह निष्कर्ष निकालना गलत है। एसबीआई की आर्थिक शोध शाखा ने कहा कि अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में 20.4 लाख करोड़ रुपये की नकदी है। उन्होंने जोर दिया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव जारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चलन में मौजूद मुद्रा (सीआईसी) का उपयोग आर्थिक गतिविधियों में तेजी के प्रमुख संकेतक के रूप में करना गलत है। यात्री वाहन बिक्री, वाणिज्यिक वाहन बिक्री और दोपहिया वाहन बिक्री समेत अन्य प्रमुख सूचकांक के आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में गिरावट दर्शा रहे हैं। एसबीआई की शोध इकाई ने जोर दिया कि हम विरोधाभास की स्थिति में है, चलन में अधिक मुद्रा होने को आर्थिक गतिविधि में उछाल का संकेत नहीं माना जा सकता। जैसा की दावा किया जा रहा है।