देश की तीसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी सिप्ला ने चीन में अपनी पूर्व पार्टनर जिआंग्सु एसब्राइट के साथ फिर से हाथ मिलाया है। सिप्ला ने पांच साल पहले शंघाई की कंपनी के साथ अपना ज्वाइंट वेंचर तोड़ा था। इसके बाद सिप्ला की ब्रिटेन की सब्सिडियरी ने चीन में रेस्पिरेटरी प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए जिआंग्सु के साथ एग्रीमेंट किया है। इसमें 3 करोड़ डॉलर का संयुक्त इनवेस्टमेंट किया जाएगा। एसब्राइट ग्रुप के चेयरमैन शेंगपिंग शू ने कहा, 'हम इस ज्वाइंट वेंचर के जरिए सिप्ला के साथ अपना संबंध मजबूत कर खुश हैं। हमारा मानना है कि यह ज्वाइंट वेंचर रेस्पिरेटरी सेगमेंट में चीन के मरीजों के लिए अधिक प्रॉडक्ट्स लाएगा। जिआंग्सु ऐसब्राइट शंघाई के ऐसब्राइट फार्मास्युटिल्स ग्रुप की सब्सिडियरी है। ऐसब्राइट ग्रुप एंटी वायरल, ऑन्कोलॉजी प्रॉडक्ट्स के लिए एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स और विटामिन इंग्रीडिएंट्स बनाता है। 2014 में सिप्ला की तत्कालीन सब्सिडियरी मेडिएट ने कंपनी में अपना 48 प्रतिशत स्टेक जिआंग्सु को 115 करोड़ में बेचा था। चीन का मार्केट बड़ा होने के मद्देनजर भारतीय फार्मा कंपनियां वहां बिजनेस करने में दिलचस्पी रखती हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में बिना एक पार्टनर के बिजनेस शुरू करना मुश्किल है। भारत और चीन के बीच बॉर्डर से जुड़े विवाद के कारण तनाव के चलते केंद्र सरकार चीन से इम्पोर्ट घटाने पर जोर दे रही है। हालांकि, इस वर्ष कुछ बड़ी भारतीय फार्मा कंपनियों ने चीन में कदम बढ़ाए हैं। देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी सन फार्मा ने जून में घोषणा की थी कि उसने अपनी स्पेशियलिटी सोरोसिस दवा का लाइसेंस चाइना मेडिकल सिस्टम को दिया है। लाइसेंस एग्रीमेंट के तहत, सन फार्मा को चाइना मेडिकल सिस्टम एकमुश्त भुगतान के अलावा कुल सेल्स पर रॉयल्टी जैसी पेमेंट भी देगी।