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आरईसी ऑफशोर बॉन्ड्स से एकत्र करेगी 50 करोड़ डॉलर

आरईसी ऑफशोर बॉन्ड्स से एकत्र करेगी 50 करोड़ डॉलर

कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए सरकारी कंपनी रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) ऑफशोर बॉन्ड्स के द्वारा 50 करोड़ डॉलर की भारी भरकम राशि एकत्र करने जा रही है। इस डिवेलपमेंट की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि बॉन्ड का प्राइस पांच वर्ष की अमेरिकी ट्रेजरी से 1.95 फीसदी अधिक हो सकता है। इसकी मैच्योरिटी पांच वर्ष की होगी। सब्सक्रिप्शन के लिए बॉन्ड इश्यू गुरुवार से दुनिया भर में खुल गया। कंपनी इससे मिलने वाले फंड का इस्तेमाल कैपेसिटी बढ़ाने और रिफाइनेंसिंग के लिए करेगी। इसकी प्राइसिंग कम हो सकती है क्योंकि बैंकर इस वर्ष के अंत में होने वाली सॉवरेन बॉन्ड की बिक्री से इसे लिंक करना चाहेंगे। एक इनवेस्टमेंट बैंकर ने कहा, 'यह बॉन्ड सेल महत्वपूर्ण है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बजट में सॉवरेन बॉन्ड सीरीज की योजना की जानकारी देने के बाद यह किसी सरकारी कंपनी की ओर से पहला इश्यू है।' केंद्र सरकार पहली बार विदेश में 10 अरब डॉलर के सॉवरेन बॉन्ड बेचने की योजना बना रही है। आरईसी को आमतौर पर इनवेस्टमेंट ग्रेड में सबसे निचली रेटिंग मिलती है। मार्केट की भाषा में बॉन्ड सेल को रेगुलेशन एस कहा जाता है। अमेरिका से बाहर के इनवेस्टर्स इन डेट सिक्योरिटीज को सब्सक्राइब कर सकते हैं।
सरकार ने आरईसी का पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के साथ मर्जर का प्रपोजल दिया था। मार्च में पीएफसी ने आरईसी में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए 14,500 करोड़ रुपये दिए थे। इस मर्जर के बाद बनने वाली संयुक्त कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी कम होने की संभावना है। हालांकि, कंपनी पर कर्ज बढ़ सकता है। दुनिया भर में बॉन्ड यील्ड गिर रही है जिससे कंपनियों के लिए विदेश से बॉन्ड और लोन के जरिए फंड हासिल करना सस्ता बन गया है। जनवरी-मार्च क्वॉर्टर में आरईसी का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट लगभग 50 फीसदी बढ़कर 1,256 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। कंपनी को इनकम बढ़ने से मदद मिली थी। 2018-19 के पूरे फाइनेंशियल ईयर के लिए आरईसी का कंसॉलिडेटेड नेट प्रॉफिट बढ़कर 5,741.38 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो इससे पिछले फाइनेंशियल ईयर में 4,450.52 करोड़ रुपये था।

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