देश में शराब और बीयर बाजार की ग्रोथ अप्रैल-जून तिमाही के दौरान लगभग एक-तिहाई घटी है। चुनाव के दौरान डिमांड पर असर पड़ने और मतदान के दिनों के करीब शराब की बिक्री पर रोक से इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा। मार्केट रिसर्च फर्म ग्लोबल डेटा ने बताया कि अप्रैल से जून के बीच बीयर की बिक्री 5 प्रतिशत और शराब की 2 प्रतिशत बढ़ी। एक साल पहले की समान अवधि में बीयर 7 प्रतिशत और शराब में 3 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज हुई थी। दरअसल चुनाव के दौरान ड्राई डेज बढ़ जाते हैं। यह कोई नई वजह नहीं है। बीयर बाजार के लगभग आधे हिस्से पर कब्जा रखने वाली यूनाइटेड ब्रुवरीज के मैनेजिंग डायरेक्टर शेखर राममूर्ति ने बताया, आम धारणा के विपरीत चुनाव इस इंडस्ट्री के लिए अच्छे नहीं होते। चुनाव के गर्मी में होने के कारण बीयर बाजार को अधिक नुकसान हुआ। इसका कारण ब्रुवरीज चलाने के समय में कमी और आउटलेट्स का बंद होना है। कुछ राज्यों ने यह भी निर्देश दिया था कि शराब का डिस्पैच और खरीदारी पिछले साल की समान अवधि से अधिक नहीं होनी चाहिए।'
आमतौर पर अप्रैल-जून तिमाही की बीयर की सालाना बिक्री में करीब 45 प्रतिशत हिस्सेदारी होती है। यूनाइटेड ब्रुवरीज ने कहा कि इंडस्ट्री जल्द ही सामान्य ग्रोथ की ओर लौटेगी। व्हिस्की, रम, ब्रैंडी, जिन और वोडका वाले शराब बाजार में भी ऐसा ही ट्रेंड देखा गया। 2018 में इसकी ग्रोथ डबल डिजिट में रही थी, जो 2012 से सबसे अधिक थी। हालांकि जनवरी-मार्च तिमाही में सेल्स ग्रोथ घटकर 3 प्रतिशत रही। इसके पीछे कुछ राज्यों में टैक्स का असर और चुनाव से जुड़ी रुकावटें हैं। दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की ब्रैंड ऑफिसर्स चॉइस बेचने वाली अलायड ब्लेंडर्स के मार्केटिंग हेड अहमद रहीमतुल्ला ने बताया, इंडियन मेड फॉरेन लिकर इंडस्ट्री मौजूदा वित्तवर्ष की पहली तिमाही में 5.1 प्रतिशत बढ़ी है, यह आंकड़ा पिछले वर्ष की समान अवधि में 9.1 प्रतिशत था। इंडियन मेड फॉरेन लिकर इंडस्ट्री की बिक्री में 10 प्रतिशत का योगदान देने वाले आंध्र प्रदेश में बिक्री घटी है। हालांकि प्रीमियम ब्रैंड्स की सेल्स में 15 प्रतिशत से अधिक की ग्रोथ रही।'
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आम चुनाव के दौरान शराब और बीयर बाजार को हुआ नुकसान, ब्रिकी एक-तिहाई घटी