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इसरो ने फिर रचा इतिहास: भारत की चांद पर दूसरी छलांग बाहुबली पर सवार होकर गया चंद्रयान-2

इसरो ने फिर रचा इतिहास: भारत की चांद पर दूसरी छलांग  बाहुबली पर सवार होकर गया चंद्रयान-2

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर से अतंरिक्ष में इतिहास रचकर चंद्रयान-2 की सफलतापूर्व लॉचिंग कर दी है। चंद्रयान- 2 को देश के सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 -एम1 जिसे 'बाहुबली नाम दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग पर इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। कोविंद के बाद चंद्रयान-2 की सफल लांच पर वैज्ञानिकों और इसरो की टीम को बधाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा इससे देश के युवाओं की रूचि विज्ञान की तरफ बढ़ेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पर पल-पल नजर बनाए हुए थे। पीएम ने कहा कि सोमवार का दिन 130 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व का दिन है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को भी इसके लिए सराहा। चंद्रयान-2 की सफलतापूर्वक लांचिंग के लिए राज्यसभा में भी इसरो की टीम को बधाई दी गई। चंद्रयान-2 की सफल लांच के लिए पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने इसरो की पूरी टीम को बधाई दी।
इसके पूर्व सोमवार को चंद्रयान का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:43 पर लांच किया गया। चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए 48 दिन की यात्रा करनी पड़ेगी। करीब 16.23 मिनट में चंद्रयान-2 पृथ्वी से 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा। चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा, इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। 19 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा। 13 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा और फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा। 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा। यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है। इसरो के अनुसार ‘चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा। इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1' का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक काम करता रहा।
15 को तकनीकी खामी के वजह से रुका 
इससे पहले चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 15 जुलाई को किया जाना था लेकिन तकनीकी खराबी आने के कारण टाल दिया गया था। इसरो ने 18 जुलाई को घोषणा की थी कि विशेषज्ञ समिति ने तकनीकी खराबी के कारण का पता लगा लिया है और उसे ठीक भी कर लिया गया है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है।
चंद्रयान-2 की खास बातें
इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। चंद्रयान के तीन हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है।
इसरो चीफ के सिवन का संबोधन 
चंद्रयान-2 की सफल लांच कर से हमने अपने तिरंगे को सम्मान दिया है। अभी टास्क खत्म नहीं हुआ है। हमें अपने अगले मिशन पर लगना है। हम हर बार की तरह अपने मैनेजमेंट की तरफ से दिए गए काम को पूरा कर रहे है। यह तीन सैटलाइट मिशन है। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतरेगा। सिवन ने अपने संबोधन में बताया कि टीम इसरो ने अपना घर-परिवार छोड़कर पिछले 7 दिनों में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए दिन-रात एक कर दिया। हमारी टीम ने तकनीकी दिक्कत की जांच कर तुरंत इस दूर किया था। टीम इसरो के इंजीनियर, टेक्निकल स्टाफ की कठोर मेहनत से ही हम यहां पहुंचे हैं। चांद की तरफ भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत हुई। चंद्रयान-2 चांद के साउथ पोल पर 7 सिंतबर को विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद रोवर प्रज्ञान चांद की सतह की जानकारी देगा।

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