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खतरनाक ढंग से बढ़ रही है पाक की आबादी, आगे बेकाबू हो जाएंगे हालात

खतरनाक ढंग से बढ़ रही है पाक की आबादी, आगे बेकाबू हो जाएंगे हालात

पाकिस्तान अपनी स्वतंत्रता के बाद से कई समस्याओं में घिरा हुआ है। इसमें तेजी से बढ़ती जनसंख्या भी शामिल है। बढ़ती जनसंख्या ने देश के संसाधनों पर भारी बोझ डाला है। पाकिस्तान इस समय दुनिया का पांचवां सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। पाकिस्तान की आबादी 21.7 करोड़ है। उसकी जनसंख्या वृद्धि दर 2.4 फीसदी सालाना है। पाकिस्तान की जनसंख्या 1950 में 3.3 करोड़ थी और दुनिया में इसका 14वां स्थान था, लेकिन अब इसमें खतरनाक ढंग से बढ़ोतरी हो रही है। पाकिस्तान मानव विकास सूचकांक में 34वें स्थान पर है। इसकी जनसंख्या वृद्धि दर सबसे ज्यादा करीब 1.90 फीसदी है। पाकिस्तान के हर परिवार में औसतन 3.1 बच्चे हैं। दुर्भाग्य से एक के बाद एक सरकारों ने परिवार नियोजन की तरफ ध्यान नहीं दिया। तेजी से बढ़ती जनसंख्या हमेशा विकास को पीछे कर देती है। अगर पाकिस्तान की जनसंख्या स्वतंत्रता के समय जितनी ही रहती तो यह आज ज्यादा समृद्ध होता। 
पाकिस्तान आर्थिक विकास व गरीबी उन्मूलन को लेकर भयावह चुनौती का सामना कर रहा है। अगर पाकिस्तान की जनसंख्या इसी दर से लगातार बढ़ती रही तो इसके अगले 37 सालों में दोगुनी हो जाने की संभावना है। इससे पाकिस्तान दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश हो जाएगा, जबकि जमीन का क्षेत्रफल वही रहेगा। जमीन के अलावा खाद्य उत्पादन भी घटेगा ऐसा जमीन के कुछ हिस्से के आवासीय प्लाट में बदलने से होगा। वर्तमान में देश की एक चौथाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजर-बसर कर रही, कम साक्षरता दर है और प्रजनन दर ज्यादा है, जो कि किसी भी एशियाई देश की तुलना में पाकिस्तान में ज्यादा है।
सरकार व नागरिक समाज में जागरूकता कार्यक्रम को लेकर बहुत ही निराशाजनक स्थिति है, हालांकि, मीडिया जन्म दर नियंत्रण के महत्व को उजागर कर रहा है। इसकी वजह से पाकिस्तान कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहा हैं, जिसमें पेयजल, बिजली व आवास की कमी शामिल है। इस तरह बढ़ती आबादी के मद्देनजर सुविधाएं विकसित नहीं हो पाएंगी। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार का बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। 
यूनेस्को के नए अनुमानों में कहा गया कि वर्तमान हालात के मद्देनजर चार पाकिस्तानी बच्चों में से एक बच्चा 2030 की सीमा तक प्राइमरी की शिक्षा पूरी नहीं पाएगा। यह दयनीय स्थिति है, शिक्षा की सुविधाएं जनसंख्या के हिसाब से नहीं बढ़ रही है। 

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