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प्रदेश भाजपा संगठन में मची आंतरिक खींचतान संगठन की गतिविधियां गड़बड़ाई, डेढ़ साल से नहीं हुई कार्यसमिति की बैठक

प्रदेश भाजपा संगठन में मची आंतरिक खींचतान संगठन की गतिविधियां गड़बड़ाई, डेढ़ साल से नहीं हुई कार्यसमिति की बैठक

मध्यप्रदेश में भाजपा के हाथ सत्ता क्या छिटकी, जैसे उसके सांगठनिक ढांचने ने आंतरिक ताकत ही खो दी। भाजपा में ऊपर से एकजुट दिखाई देने वाले संगठन के नेताओं में खींचतान मची हुई हैं। खुद भाजपा के कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि अंदरूनी तौर पर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पार्टी में संंगठनात्मक बैठकों का दौर लगभग खत्म सा हो गया है। प्रदेश के सभी बड़े नेता भोपाल से दिल्ली की दौड़ में लगे हुए हैं। ऐसे में वे मप्र में सांगठनिक गतिविधियों और बैठकों को समय नहीं दे पा रहे है। यही वजह है कि पिछले 14 महीने से भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक नहीं हो सकी है। विपक्ष में रहकर भाजपा अब कांंग्रेस की राह पर चलती दिखाई दे रही है। 
भाजपा के संविधान में तय मापदंडों के अनुसार प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हर 3-4 महीने में होना अनिवार्य है, लेकिन चुनावों की वजह से बैठकों का क्रम आगे-पीछे हो जाता है। यह बैठक इसलिए अनिवार्य है, क्योंकि इसमें संगठन की पिछली गतिविधियों पर प्रगति पर चर्चा होती है और आगामी कार्ययोजना पर रणनीति बनती है। मप्र में भाजपा की आखिरी कार्यसमिति की बैठक 4 मई 2018 को राजधानी भोपाल में भेल दशहरा मैदान पर हुई थी। इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए थे। इसके बाद से भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक नहीं बुलाई गई। 

जिला-संभाग स्तर पर नहीं हो पा रही बैठकें
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों में सामंज्स्य और रणनीति का अभाव होने की वजह से संभाग एवं जिला स्तर पर होने वाले नियमित बैठकों का दौर भी गड़बड़ा गया है। हालांकि भाजपा द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों को लेकर जरूर बैठकें हो रही हैं। फिलहाल भाजपा का सबसे बड़ा कार्यक्रम सदस्यता अभियान चल रहा है।

दिल्ली में भी नहीं हुई बैठक
प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक नहीं होने को नेेताओं की आपसी खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। खास बात यह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी पिछले एक साल से राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक नहीं बुलाई है। भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि पहले राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होती है, उसके बाद प्रदेश कार्यसमिति बुलाई जाती है। जब दिल्ली में ही बैठक नहीं बुलाई गई तो फिर मप्र में बैठक कैसे हो जाती है। 

राकेश सिंह के कार्यकाल में सिर्फ एक बैठक 
भाजपा हाईकमान ने विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल अप्रैल 2018 में नंदकुमार चौहान को हटाकर जबलपुर सांसद राकेश सिंह को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी थी। राकेश सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद मप्र भाजपा ने आनन-फानन में 4 मई2018 को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी। बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह की लॉचिंग की थी। लेकिन इसके बाद से एक भी भाजपा कार्यसमिति की बैठक नहीं हो सकी है।

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