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धोनी की उपलब्धता के लिए आम्रपाली ग्रुप ने किया साढ़े 6 करोड़ रु. का अवैध डायवर्जन

 धोनी की उपलब्धता के लिए आम्रपाली ग्रुप ने किया साढ़े 6 करोड़ रु. का अवैध डायवर्जन

रियल इस्टेट कंपनी आम्रपाली अनियिमतता के चलते कानूनी दायरे में फंसी है और अब नया मामला साढ़े 6 करोड़ रुपये के अवैध डायवर्जन का सामने आया है। फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस ग्रुप ने रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 6 करोड़ 52 लाख रुपये दिए, जो अवैध डायवर्जन था। यह पैसा घर खरीदारों का था, जिसे वसूल किया जाना चाहिए। इसके लिए आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी ने बिना किसी आधिकारिक प्रस्ताव के रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से करार किए। बता दें कि करार के तहत आम्रपाली की शर्त यह थी कि रिति स्पोर्ट्स कंपनी क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को ग्रुप के लिए तीन दिन के लिए उपलब्ध कराए। गौरतलब है कि धोनी आम्रपाली ग्रुप के ब्रैंड ऐंबेसडर रह चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट में ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि 2009 से लेकर 2015 के बीच 6.52 करोड़ रुपये रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को आम्रपाली ग्रुप के आम्रपाली शफायर डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने दिया था। यह रकम एक करार के तहत दी गई थी। इसके लिए आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा और रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने करार किए थे। हालांकि इसके लिए कोई प्रस्ताव पारित नहीं था, लेकिन आम्रपाली ग्रुप की ओर से सीएमडी ने करार किए। 24 नवंबर 2009 को हुए करार में लिखा हुआ था कि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी रिति स्पोर्ट्स के रिप्रजेंटेटिव के साथ आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी के लिए उपलब्ध होंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए फैसले में कहा है कि तमाम कंपनियों के डायरेक्टर्स जिनके पास भी फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक होम बॉयर्स के पैसे हैं, वे एक महीने में वापस करें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फेमा के उल्लंघन के मामले में ईडी को जांच के आदेश दिए हैं।
20 मार्च 2015 को स्पॉन्सरशिप करार के तहत आम्रपाली ग्रुप को आईपीएल 2015 के लिए चेन्नई सुपर किंग्स के लोगो स्पेस के विज्ञापन का अधिकार मिला। इसके लिए करार सादे कागज पर था और यह करार सिर्फ आम्रपाली ग्रुप और रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बीच था। इस ऐग्रिमेंट में चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से किसी भी रिप्रजेंटेटिव का साइन नहीं था। रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के फेवर में कोई प्रस्ताव नहीं था कि वह ऐग्रिमेंट करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि तमाम करार रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को पेमेंट करने के इरादे से किए गए थे। करार दिखावटी था। फॉरेंसिक ऑडिटर्स का कहना था कि उनके समझ से ये पैसा होम बॉयर्स का था, जिसे अवैध तरीके से डायवर्ट किया गया। उसे रिकवर किया जाना चाहिए क्योंकि ऐग्रिमेंट कानून संगत नहीं था। 

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