हाल में आई एक एक नई स्टडी के अनुसार डिप्रेशन, लोगों को मरने तक की स्थिति में पहुंचा सकता है। इसे 'साइकोजेनिक डेथ' कहा जाता हैं। जीते जी मरने की यह स्थिति अलग-अलग चरण में प्रभावित करती है और धीरे-धीरे व्यक्ति को मौत की तरफ धकेल देती है। यदि आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है, तो आपको उसकी तुरंत मदद करनी चाहिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति का समाज से कट जाना अहम है। यह समस्या युद्ध के मरीजों में भी देखी जाती है, जिन्होंने अपनी आंखों से मौतें होती देखी हों। ऐसे व्यक्ति भावनाएं जाहिर करना छोड़ देते है और उसे अपने आसपास से कोई फर्क नहीं पड़ता।
इसमें व्यक्ति बहुत नकारात्मक और खुद को बेकार महसूस करता है। उसकी रचनात्मकता खत्म हो जाती है और वह अपने लिए भी कोई काम नहीं करना चाहता है। समाज से कटने की प्रक्रिया में इंसान एक लेवल और आगे चला जाता है। जिसमें उसका दिमाग सो जाना चाहता है, जो कोमा जैसी स्थिति होती है। इसमें डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति के पेन रिसेप्टर्स काम करना बंद कर देते हैं। इससे उसे किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता और वह किसी भी तरह की चोट पर प्रतिक्रिया भी नहीं देता। यह मौत से पहले की इस अवस्था में इंसान को दुनिया से कोई मतलब नहीं रह जाता है और वह उठने से भी मना कर देता है। इसके बाद लगभग 2-3 दिन के अंदर मरीज की मौत हो सकती है। डिप्रेशन से उबरना एक कठिन लड़ाई है, लेकिन यह नामुमकिन नहीं है। आपको ऐसे व्यक्ति को उस स्थिति में धकेलना होगा, जो उसे अच्छा लगता हो। इसके लिए मेडिकल रीहैबिलिटेशन और इलाज की भी सहायता ली जा सकती है।
साइंस & टेक्नोलॉजी
उदास रहने पर हो सकती है मौत: स्टडी