एक ताजा ग्लोबल अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि पुरुषों की तुलना में डायबीटीज से पीड़ित महिलाओं में हार्ट फेल होने का खतरा कई गुना अधिक होता है। इंटरनैशनल डायबीटीज फेडरेशन के आंकड़ों की मानें तो फिलहाल दुनियाभर में 41 करोड़ 50 लाख वयस्क ऐसे हैं जो डायबीटीज से पीड़ित हैं। इन 41 करोड़ वयस्कों में से करीब 20 करोड़ महिलाएं हैं जो डायबीटीज की मरीज हैं। भारत जिसे आमतौर पर दुनिया का डायबीटीज कैपिटल कहा जाता है में साल 2017 में डायबीटीज के 7 करोड़ 20 लाख मामले थे। इसका मतलब है कि देश की करीब 9 प्रतिशत वयस्क आबादी डायबीटीज से पीड़ित है। डायबेटोलॉजिया नाम के जर्नल में प्रकाशित स्टडी की मानें तो टाइप 1 डायबीटीज से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हार्ट फेलियर होने का खतरा 47 प्रतिशत अधिक होता है जबकी टाइप 2 डायबीटीज के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट फेल होने का खतरा 9 प्रतिशत अधिक होता है। इस स्टडी के को-ऑथर सैन पीटर्स की मानें तो डायबीटीज से पीड़ित महिलाओं में दिल से जुड़ी बीमारियां अधिक होने के खतरे के पीछे कई कारण हैं। पीटर्स कहते हैं, महिलाओं में प्रीडायबीटीज की अवधि पुरुषों की तुलना में 2 साल अधिक होती है और इस बढ़ी हुई अवधि की वजह से ही महिलाओं में हार्ट फेलियर का खतरा कई गुना अधिक होता है। इतना ही नहीं, डायबीटीज के मामले में महिलाओं के इलाज को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता है। साथ ही महिलाएं, पुरुषों की तरह डायबीटीज को बहुत ज्यादा सीरियसली नहीं लेती और दवाओं में भी लापरवाही करती हैं। ताजा अध्ययन में कहा गया है कि डायबीटीज, दिल से जुड़ी बीमारियों खासकर हार्ट फेलियर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। इसका सर्वाधिक असर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है।