पश्चिमी अंटार्कटिका में ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते तेजी से पिघलती बर्फ दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है। यहां बर्फ पिघलने के बाद समुद्र में पानी का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में न्यूयॉर्क, कोलकाता, शंघाई और टोक्यो जैसे दुनियाभर के कई शहरों पर खतरा होने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिक इससे निपटने के लिए अंटार्कटिका की बर्फ की चादर को कृत्रिम बर्फ से ढांकने की तैयारी में हैं। वैज्ञानिकों इसके लिए 3-डी पैरलल आइस मॉडल (पिस्म) इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके तहत अंटार्कटिक महासागर में मौजूद आइस शीट (बर्फ की चादर) को बचाने के लिए इसके किनारों पर ही पानी को बर्फ में बदल दिया जाएगा। इससे बर्फ की चादर कृत्रिम बर्फ में घिरेगी और इसके पिघलने की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी मात्रा में बर्फ से पिघल रही आइस शीट दोबारा संतुलित होकर महासागर के बीच में पहुंच जाएगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, महासागर के पानी को जमाने के बाद समुद्र के जलस्तर में भी दो से पांच सेंटीमीटर की गिरावट आएगी। हालांकि, यह प्रोजेक्ट इतना आसान नहीं होगा। इसकी एक वजह यह है कि अंटार्कटिका में पानी को बर्फ में बदलने की ऊर्जा की भारी जरूरत पड़ेगी। इसे पूरा करने के लिए क्षेत्र में हवा से चलने वाली हजारों टर्बाइन लगानी पड़ेंगी।