एक ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पीरियड्स आने में हो रही हर साल की देरी, टाइप-2 डायबीटीज के जोखिम को छह फीसदी कम कर देता है। नार्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसायटी (एनएएमएस) के मेडिकल निदेशक स्टेफनी फ्यूबियन ने कहा, ‘अगर किसी लड़की के पीरियड्स 14 साल में शुरू हो जाते हैं, तब आग चलकर उसे टाइप-2 डायबीटीज होने का खतरा ज्यादा रहा है। हालांकि, यह बीएमआई से भी प्रभावित होता है।’ स्टेफनी ने कहा, ‘बचपन में दूसरे कारक जैसे पोषण और बीएमआई भी इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं।’ टाइप-2 मधुमेह दुनिया भर में सबसे आम बीमारियों में एक बन गया है। 2015 में इससे वैश्विक रूप से 20 से 79 की आयु के 8.8 फीसदी लोग प्रभावित थे और 2040 तक इससे 10.4 फीसदी लोगों के प्रभावित होने की संभावना है। डायबीटीज से दुनिया भर में काफी लोग प्रभावित हैं। डायबीटीज के निर्धारक तत्वों की पहचाने करने के लिए लगाकर शोध किए जा रहे हैं, ताकि इसके विकास को रोका जा सके। विभिन्न जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों की पुष्टि पहले ही हो चुकी है, लेकिन कुछ शारीरिक कारकों की ओर इशारा करते हुए बढ़ते प्रमाण भी हैं। चीन में 15,000 से ज्यादा महिलाओं पर किए गए इस नए अध्ययन में पाया गया है कि जिन महिलाओं के पीरियड्स कम उम्र में शुरू हो जाते हैं, उनको आगे चल कर टाइप -2 डायबीटीज होने का खतरा ज्यादा होता है। अध्ययन में कहा गया है कि कम उम्र में पीरियड्स की शुरुआत के कारण टाइप-2 डायबीटीज का खतरा बढ़ा जाता है। हालांकि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) इससे बचा सकता है।