अगर आपके ऊपर काम का दबाव और तनाव बहुत ज्यादा है, हर वक्त तनाव आप पर हावी रहता है तो अब सावधान हो जाइए। एक शोध में बताया गया हैं कि बहुत ज्यादा तनाव आपके बच्चों के दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकता है। शोध के अनुसार, तनाव पिता के शुक्राणुओं में बदलाव लाता है, जिसका असर उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। इससे बच्चे के दिमाग का विकास बाधित हो सकता है। आज की भाग-दौड़ वाली जिंदगी में सामान्यत सभी पुरुषों के जीवन में तनाव जिंदगी का आम हिस्सा हो गया है। घंटों दफ्तर में बैठना, टारगेट का प्रेशर, घर-परिवार की समस्याएं वगैरह, सभी बातें प्रमुख रुप से तनाव का कारण बनती हैं। इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो बुर प्रभाव पड़ता ही है, इसके साथ ही आगे आने वाली पीढियों पर भी इसका बुरा असर होता है।
इसके बारे में शोधकर्ता ट्रेसी बेल ने नर चूहों पर किए गए एक प्रयोग में पाया कि पिता के शुक्राणुओं में हुए जेनेटिक मटेरियल (माइक्रोआरएनए) बदलाव का कारण न्यूरो साइकियाट्रिक डिसऑर्डर और तनाव थे। अब शोधकर्ताओं ने इन माइक्रोआरएनए में हुए बदलाव के संबध में नई जानकारियां हासिल की हैं। पिता के शुक्राणुओं के माइक्रोआरएनए में हुए परिवर्तन का मुख्य कारण तनाव है। तनाव के कारण स्पर्म के फ्यूज यानी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि पिता के जोखिम और बच्चों में बीमारी के जोखिम के बीच संबंधों के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर हम इन विकारों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं,जिससे इनका पता लगाने और इन्हें रोकने में कामयाबी मिलेगी।
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तनाव का असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ता हैं