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कश्मीर में पत्थरबाजों से आतंकी की तरह निपटो, फिर होगी शांति

कश्मीर में पत्थरबाजों से आतंकी की तरह निपटो, फिर होगी शांति

पुलवामा के पिंगलिना में रविवार आधी रात से सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुए एनकाउंटर में सेना के एक मेजर स‎हित चार जवान शहीद हो गए हैं। इस मुठभेड़ में एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हो गई। है। नागरिक की मौत से तनाव बढ़ गया  और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी भी की गई। पुलवामा हमले का बदला लेने और पिंगलिना जैसी स्थितियों से निपटने के लिए रक्षा विशेषज्ञ जीडी बख्शी ने कहा है कि पत्थरबाजों को आतंकी समझकर उनपर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, हमें पूरी उम्मीद थी कि सुरक्षा बल पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड माने जा रहे गाजी रशीद को ढूंढ निकालेंगे। यह अफसोस की बात है कि गाजी नए लड़कों को भर्ती कर रहा है। इस समय हमारे जवानों में जोश बहुत है, अगर गाजी को मार गिराएंगे तो यह हमारे लिए इस समय की सबसे अच्छी खबर सा‎बित होगी।
जीडी बख्शी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 250 आतंकियों से जितना खतरा है उससे कम वहां के 40 हजार पत्थरबाजों से भी नहीं है। इन पत्थरबाजों को आतंकियों की तरह ही डील करना होगा। उनके ऊपर सख्त एक्शन लेने की जरूरत है। यह बस एक-दो बार ही करना होगा, इसके बाद कभी भी जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारे लड़कों को ऑपरेशन शुरू करते समय ऐसा करना पड़ेगा। जरूरत हुई तो रॉकेट लॉन्चर का भी उपयोग करना होगा। वहीं, ब्रिगेडियर महालिंगम ने इस मामले पर कहा कि फिदायीन हमले के बाद आतंकियों के हौसले बुलंद हैं। इसलिए इसके बाद उन्होंने दूसरी बार ऐसा हमला किया है। उन्होंने कहा कि गाजी इस वक्त  छुपा हुआ है, क्योंकि उसे अपने पकड़े जाने का डर सता रहा है। गाजी को पकड़ने के लिए सुरक्षा बलों को और तेज अभियान चलाना चाहिए और सभी आतंकियों को पकड़कर उन्हें सजा देनी चाहिए। वहीं पत्थरबाजों के सवाल पर महालिंगम ने कहा कि सुरक्षा बल तो राज्य में स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए ही काम कर रहे हैं। वरना उन्हें कश्मीर में रहने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अशांत तत्वों का इरादा कश्मीर के माहौल को सीरिया और अफगानिस्तान जैसा बनाने का है। एक और रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने कहा कि इस स्थिति से निपटना पड़ेगा। लोगों को पथराव की, सुरक्षा घेरा तोड़ने या सुरक्षा बलों का ध्यान बंटाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इसके लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। सुरक्षा बलों के हाथ बांधकर उन्हें लड़ने के लिए नहीं कहा जा सकता। सुरक्षा बलों ने काफी सहनशीलता दिखा ली है। इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अब इस बकवास को बंद करना पड़ेगा। पत्थर मारने वालों के साथ क्या करना है, यह सोचना होगा। इनसे निपटने के बहुत तरीके हैं, लेकिन इसे अमल में लाना होगा। इसे बाबूगीरी में नहीं फंसाना चाहिए। कमी यह है कि पुलवामा जैसे हादसे के बाद ध्यान केंद्रित कर इससे निपटा नहीं जा रहा है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए दृढ़ता दिखानी होगी।
बता दें कि पिंगलिना में रविवार रात से जारी मुठभेड़ सोमवार सुबह रुक गई थी, लेकिन सुरक्षा बलों की ओर से घरों में आतंकियों की जांच की जा रही है। इस मुठभेड़ के बाद आसपास के तीन किमी के इलाके को घेर लिया गया है। जानकारी के अनुसार यहां पर जैश-ए-मोहम्मद के दो से ज्यादा आतंकी वहां पर मौजूद हो सकते हैं।  बता दें कि इससे पहले इसी इलाके में 13 फरवरी को भी मुठभेड़ हुई थी। इसमें हिब्जुल का एक कमांडर मारा गया था, लेकिन गाजी रशीद के यहां से फरार होने का क्लू मिला था। उस मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद हो गए थे।

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