भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए गोल्ड सेफ हेवेन यानी सुरक्षित विकल्प साबित हुआ है। डॉलर में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए वह विदेशी मुद्रा भंडार को मैनेज करने की रणनीति के तहत पिछले डेढ़ साल से गोल्ड खरीद रहा है। 1991 भुगतान संकट के वक्त देश ने बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास जितना सोना गिरवी रखा था, इस दौरान आरबीआई उससे अधिक गोल्ड खरीद चुका है। रिजर्व बैंक के हालिया डेटा के मुताबिक, नवंबर 2017 से अब तक उसने 20 लाख डॉलर ट्रॉय औंस का गोल्ड खरीदा है, जो करीब 61 टन है। 1991 भुगतान संकट के वक्त भारत ने बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास 45 टन गोल्ड गिरवी रखा था। विदेशी मुद्रा भंडार के लिए हाल में गोल्ड खरीदने वाला आरबीआई अकेला केंद्रीय बैंक नहीं है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी गोल्ड होल्डिंग बढ़ा रहे हैं। इस साल के मई में बैंकों ने लगभग 247 टन सोना की शुद्ध खरीदारी की थी। हाल ही के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून तक आरबीआई के पास 198.7 लाख टन ट्रॉय औंस गोल्ड यानी 618 टन सोना था, जिसकी कीमत 24.3 अरब डॉलर है। हाल में गोल्ड के दाम में बढ़ोतरी से आरबीआई को इस निवेश पर फायदा भी हुआ है। रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, जुलाई में बैंक को 100 करोड़ डॉलर का लाभ हुआ। बाजार के विशेषज्ञों का का कहना है कि आरबीआई रिजर्व पोर्टफोलियो में विविधता लाने और इसे संतुलित बनाने के लिए पिछले डेढ़ साल से सोना खरीद रहा है।