सभी भारतीय रेलवे के यात्री ट्रेन के सफर के ऑनलाइन रिजर्वेशन के लिए ज्यादा खर्च के लिए तैयार रहे। डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए पहले ई-टिकटों पर जो सर्विस चार्ज हटाया गया था, वह जल्द फिर से वसूला जाने लगेगा। पहले स्लीपर क्लास के टिकट पर 20 रुपये और एसी बोगी में सीट के लिए 40 रुपये का सर्विस चार्ज देना पड़ता था। रेलवे मंत्रालय के लेटर के मुताबिक, रेल मंत्रालय ने संचालन लागत फिर से वसूलने का फैसला किया है,जिसमें मार्केटिंग और बिक्री सेवाएं शामिल हैं। नोटबंदी के बाद नवंबर 2016 तक ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज वसूला जाता था। आईआरसीटीसी सर्विस चार्ज के जरिए इकट्ठा रकम का इस्तेमाल ई-टिकटिंग सिस्टम के लिए करती थी। सूत्रों ने बताया, वित्त मंत्रालय ने रेलवे मंत्रालय को सर्विस चार्ज न वसूलने की सलाह दी थी और वादा किया था संचालन का खर्च रीइम्बर्स किया जाएगा। हालांकि इस साल 19 जुलाई को रेलवे को लिखे लेटर में वित्त मंत्रालय ने लिखा कि ई-टिकटिंग सिस्टम की संचालन लागत पूरा करने के लिए रीइम्बर्समेंट की व्यवस्था टेंपररी थी।
शुरुआत में दिए निर्देशों के मुताबिक, सर्विस चार्ज न वसूले जाने की व्यवस्था जून 2017 तक रहनी थी, लेकिन बाद में कई बार इसकी समयसीमा बढ़ाई गई और अबतक पुरानी व्यवस्था को बहाल नहीं किया गया है। इस दौरान आईआरसीटीसी की कमाई भी घटी क्योंकि सर्विस चार्ज से होने वाली कमाई का रेलवे की कुल आय में बड़ा योगदान था। सूत्रों ने बताया, वित्त मंत्रालय की तरफ से आईआरसीटीसी को 88 करोड़ का रीइम्बर्समेंट होना था, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं था। वित्त मंत्रालय लेटर लिखने वाले रेलवे बोर्ड के जॉइंट डायरेक्टर ट्रैफिक कमर्शल(जनरल) बीएस किरन ने फिर सर्विस चार्ज लगाए जाने की बात कही है। सूत्रों का कहना है कि मामले पर आईआरसीटीसी के डायरेक्टर्स चर्चा करने के बाद ही सर्विस चार्ज की दर तय की जाएगी। उम्मीद है कि ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज उसी दर से वसूला जाएगा, जैसा पहले किया जाता था।
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वित्त मंत्रालय के ना कहने के बाद ई-टिकट पर फिर से वसूला जाएगा सर्विस चार्ज आईआरसीटीसी से टिकट करना होगा फिर से मंहगा