मेसन एंड कंपनी, अर्थ लोफ, मालाबार सीक्रेट्स और कोकोट्रेट जैसे कई चॉकलेट बनाने वाली कंपनियां ककाओ के साथ एक्सपेरिमेंट करके उस लोकल ट्विस्ट दे रहे हैं। देश के पहले ऑफिशियल चॉकलेट टेस्टर चेन्नई के नितिन चोर्डिया का अनुमान है कि 2020 तक कम-से-कम 30 बींस टू बार चॉकलेट मेकर्स बाजार में आ सकते हैं। चोर्डिया भी कोकोट्रेट ब्रैंड नाम से खुद की चॉकलेट बना रहे हैं। कोकाओ प्योर चॉकलेट होता है, जिस हीट प्रोसेसिंग से कोको में बदला जाता है। चॉकलेट मेकर्स मॉडर्न रिटेल, ई-कॉमर्स के द्वारा अनूठे टेस्ट के साथ लोकल फ्लेवर वाले प्रॉडक्ट्स ऑफर कर रहे हैं। इंडियन ककाओ बींस साउथ अमेरिकन या अफ्रीकी ककाओ बींस को जोरदार टक्कर दे सकती हैं, उन्हें यह अच्छे से समझ में आ गया है। जहां तक इंटरनैशनल मार्केट में ककाओ के दाम की बात है तो इसमें पिछले कुछ साल में काफी उतार-चढ़ाव हुआ है। 2011 की ही बात लेते हैं जब मार्च में 3,826 प्रति टन के ऑल टाइम हाई पर गया ककाओ उसी साल दिसंबर में गिरकर 1,815 प्रति टन पर आ गया था। पिछले साल सप्लाई शॉर्टेज के चलते कोको फ्यूचर्स से 28 प्रतिशत रिटर्न मिला था। इसके चलते इंडियन फार्मर्स ने प्रॉडक्शन बढ़ा दिया और कई अब उसमें वैल्यू एडिशन कर रहे हैं।
बात दे कि फैशन डिजाइनर बीना रमानी मालाबार सीक्रेट्स ब्रैंड नेम से मसालेदार चॉकलेट बनाती हैं। इसके लिए वह अपने चिकमंगलूर फार्म के ककाओ यूज करती हैं। रमानी चॉकलेट पर आनेवाले कुल खर्च का हिस्सा 45 प्रतिशत पैकेजिंग में लगाती हैं। देश की सबसे बड़ी बीन टू बार कंपनी मेसन एंड कंपनी तमिलनाडु की है, जो हर महीने 12,000 बार बनाती है। इसकी शुरुआत जे मेसन और फैबिएन बोनटेम्स ऑरविल ने पांच साल पहले की थी। इससे पहले उन्होंने तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में ककाओ प्लांटेशंस का दौरा किया था। मेसन के प्रॉडक्ट्स 12 शहरों के 100 में बिकते हैं और अधिकांश सेल्स मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में होती है। चॉकलेट मेकर देवांश ऐशर के मुताबिक उनका टेस्ट अब भी ट्रेडिशनल चॉकलेट वाला है। दिक्कत चॉकलेट में मिठास ढूंढने की वजह से होती है। कुछ चॉकलेट मेकर्स की सेल्स पहले ही 8-10 करोड़ चॉकलेट सालाना तक पहुंच चुकी है।
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चॉकलेट बनाने वाली कंपनियां ककाओ के साथ दे रही लोकल ट्विस्ट