वीडियोकॉन समूह की 15 कंपनियों में से 13 को एक साथ नत्थी करने की इजाजत राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने दी है। दरअसल, निपटान की प्रक्रिया को तेज करने और बेहतर मूल्य निकालने के लिए निपटारा पेशेवर को यह अनुमति दे दी है। एनसीएलटी ने कहा है कि इन कंपनियों के परिचालन में समानता की वजह उसने यह फैसला किया है। यह पहली बार है जबकि एनसीएलटी ने किसी समूह की कंपनियों को एक साथ नत्थी करने की अनुमति दी है। घरेलू दिवाला कानून में दिवाला कंपनियों के खातों को एकीकृत करने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने ब्रिटेन और अमेरिका के दिवाला कानून का उदाहरण देते हुए यह मंजूरी दी। पीठ ने इसके लिए ऋणदाताओं और अन्य अंशधारकों के हितों का भी उल्लेख किया। न्यायाधिकरण के न्यायाधीश एम के सहरावत ने कहा कि हमने एकीकरण के पक्ष और विपक्ष में दलीलें सुनीं। ‘मुझे लगता है कि समान परिचालन वाले खातों के एकीकरण के लिए यह सही समय है। चूंकि इसके लिए कोई घरेलू कानून नहीं है, मैंने इसके लिए ब्रिटेन और अमेरिकी कानूनों से ‘मार्गदर्शन’ लिया। न्यायाधिकरण ने एकीकृत इकाई के लिए महेंद्र खंडेलवाल को निपटारा पेशेवर नियुक्त किया है। पीठ ने कहा कि समूह की दो इकाइयों ट्रेंड इलेक्ट्रॉनिक्स और केएआईएल के लिए अलग निपटान प्रक्रिया होगी। इन इकाइयों के लिए अलग निपटान पेशेवर की नियुक्ति की जाएगी। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का कुल ऋण मार्च,2018 तक 19,506 करोड़ रुपये था। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2016 के आखिर में जिन 40 बड़े डिफॉल्टरों की पहचान की थी उनमें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज भी शामिल है।