देश में भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 15 अगस्त तो मनाया जाएगा इस बार सरकार ने सभी प्रकार की राखियों को जीएसटी से मुक्त रखा है लिहाजा राखी बाजारों में रौनक दिख रही है। पारंपरिक राखी निर्माता और डीलर्स ने इस साल राखियों में ग्लास, बीड्स, स्टोन का बेधड़क इस्तेमाल किया है और सेल्स भी पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा बताई जा रही है। हालांकि राखियों की बढ़ती ऑनलाइन डिमांड के बीच ई-कॉमर्स और गिफ्टिंग प्लैटफॉर्म अच्छी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने इस साल ऑर्डर में 40 फीसदी तक ग्रोथ दर्ज की है। राखियों के होलसेल हब सदर बाजार की फर्म अनिल भाई राखी वाले के मुताबिक, पिछले साल राखियों से जीएसटी त्योहार से ऐन पहले हटाया गया था, जिससे कोई खास लाभ नहीं मिला था, लेकिन इस बार मैन्युफैक्चरर्स और ट्रेडर्स के पास पूरे एक साल का समय था। इसका सेल्स पर पॉजिटिव असर पड़ा है। कीमतों में भी कमी आई है। पिछले साल तक ग्लास बीड वाली राखियों पर 18 फीसदी तो जरी, नायलॉन, सिल्क पर 12 फीसदी तक टैक्स लग रहा था। राखी का कोई विशेष स्लैब न होकर रॉ मैटीरियल या इनपुट के हिसाब से दरें तय की गई थीं, जिसमें कई विसंगतियां थीं। इस साल सब कुछ क्लियर है और मैन्युफैक्चरर्स ने ग्लास, प्लास्टिक बीड्स, स्टोन और अन्य जड़ित वस्तुओं का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया है।
राखी मैन्युफैक्चरर और डीलर शोभित अग्रवाल ने बताया कि इस साल थोक बिक्री 20 फीसदी ज्यादा दर्ज की गई है। ऑनलाइन वेंडर्स की ओर से डिमांड साल दर साल बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म राखियां भेजने के अलावा कई तरह की ऐडऑन सेवाएं जरूर दे रहे हैं, लेकिन ऐड कंज्यूमर से राखी की मूल कीमत के मुकाबले कई गुना ज्यादा दाम ले रही हैं। उन्होंने कहा कि राखियों पर उनका प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा है। गिफ्टिंग प्लैटफॉर्म फर्न्स ऐड पेटल्स ने इस साल 100 से ज्यादा देशों में राखी डिलिवरी सर्विस लॉन्च की है। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले ऑर्डर्स में 40 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है, जिसमें 50 फीसदी अमेरिका, यूके, यूएई, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के लिए हैं। लुंबा, मौली, सिल्वर, पर्ल, रुद्राक्ष, चंदन सहित सभी तरह की राखियों की डिमांड बढ़ी है।
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सभी तरह की जीएसटी से मुक्त राखी बाजार में रौनक - बिक्री भी पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी बढ़ी