
सोते समय सांस लेने के रास्ते में अवरोध के कारण होने वाली स्लीप ऐप्निया डायबीटीज, हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर के साथ ही याददाश्त कम होने जैसे रोगों का कारण बन सकती है। लाइफस्टाइल से जुड़ी इस बीमारी को जीवनशैली में कुछ बदलाव कर रोका जा सकता है। लेकिन अब एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि वैसी महिलाएं जिन्हें स्लीप ऐप्निया की बीमारी है, उन्हें पुरुषों की तुलना में कैंसर होने का खतरा कई गुना अधिक होता है। एक जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में शामिल डेटा में करीब 20 हजार वयस्क मरीजों को शामिल किया गया, जिन्हें ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया की बीमारी थी। इनमें से करीब 2 फीसदी मरीजों का कैंसर डायग्नोज हो चुका था। स्वीडन के यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग के प्रफेसर ल्यूडगर ग्रोटे बताते है कि, 'कैंसर का एक रिस्क फैक्टर है, स्लीप ऐप्निया या फिर यूं कहें कि जरूरत से ज्यादा वजन यानी ओवरवेट होना भी एक कॉमन रिस्क फैक्टर है, जो कैंसर और स्लीप ऐप्निया दोनों के खतरे को बढ़ाता है।' अनुसंधानकर्ताओं कीके अनुसार बढ़ती उम्र में कैंसर का खतरा अधिक था, लेकिन अगर उम्र, जेंडर, बॉडी मास इंडेक्स, स्मोकिंग और ऐल्कॉहॉल के सेवन जैसी चीजों को अडजस्ट करने के बाद भी कैंसर का खतरा अधिक और स्लीप ऐप्निया के बीच संभावित लिंक देखने को मिला है। यही नहीं, यह कनेक्शन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा दिखा। ग्रोटे कहते हैं कि, 'हमारे नतीजे दिखता हैं कि वैसी महिलाएं जिन्हें स्लीप ऐप्निया है उन्हें कैंसर होने का खतरा 2 से 3 गुना अधिक होता है।'