ऑनलाइन बाजार से जुड़े एफडीआई कानून और ऑफलाइन व्यवसायों के तेजी से ऑनलाइन होने के कारण 2027 तक भारत का ई-कॉमर्स व्यापार 14 लाख करोड़ रुपए (200 अरब डॉलर) से ज्यादा का हो जाएगा। यह जानकारी मॉर्गन स्टैनली के आकलन में सामने आई है। सरकार ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह में ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए एफडीआई नीति में बदलाव की घोषणा की थी। एक फरवरी से लागू हुई इस नीति के अनुसार विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियां ऐसे सामान नहीं बेच पाएंगी जिनमें उनकी खुद की हिस्सेदारी है। साथ ही किसी प्रोडक्ट की एक्सक्लूसिव बिक्री पर भी रोक लगाई गई है। मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि नए नियम की वजह से वॉलमार्ट जैसी कंपनियों का संचालन का खर्चा बढ़ जाएगा लेकिन लांग टर्म में इसका असर कुछ खास नहीं होगा। नए नियम की वजह से बड़ी कंपनियां अपने व्यापार करने के ढांचे में बदलाव करेंगी ताकि वे प्रतिस्पर्धा में बनी रह सकें। इसके साथ साथ ऐसी कंपनियां जो अभी सिर्फ दुकानों के बल बूते पर व्यापार कर रही हैं वे भी ई-कॉमर्स में अपनी उपस्थिति बनाने में जुट जाएंगी। इन दोनों वजहों से देश के ई-कॉमर्स सेक्टर में लगातार बढ़त देखने को मिलेगी।