भारत की एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने कठिन हालातों से निकलकर विश्व चैम्पियनशिप खिताब तक का सफर तय किया है। मानसी ने 2011 में एक दुघर्टना में अपना बायां पैर खो दिया था और चार साल बाद उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। वह पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं। जीत से उत्साहित मानसी ने कहा, मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है..मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया। मैंने जिम में अधिक समय बिताया, सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की। जोशी ने कहा, मैंने अपने स्ट्रोक्स पर भी काम किया, मैंने इसके लिए अकादमी में हर दिन ट्रेनिंग की। मैं समझती हूं कि मैं लगातार बेहतर हो रही हूं और अब यह दिखना शुरू हो गया है। अपने सफर के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा कि मैं 2015 से ही बैडमिंटन खेल रही हूं। ऐसे में विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है।