इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के दायरे से बाहर आने का अनुमान लगाया जा रहा है। सरकार का इन बैंकों से कहना है कि वे नई हासिल होने वाली पूंजी से अपने नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स को समायोजित करें। एक सरकारी बैंक के कार्यकारी प्रमुख ने बताया कि सरकार पीसीए के तहत रखे गए बैंकों को नई पूंजी को बैड लोन से समायोजित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। फ्रेश इक्विटी का उपयोग मुख्य तौर पर नेट एनपीए रेशियो को 6 प्रतिशत से नीचे लाने में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कम से कम तीन-चार बैंक मार्च तक इस नियम के दायरे से बाहर आ सकते हैं। हालांकि उनका ग्रॉस एनपीए 16-17 प्रतिशत से ज्यादा है। सरकार मार्च तिमाही तक उन बैंकों को और 12500 करोड़ रुपए दे सकती है, जिनके कैपिटल रेशियो तय मानक से कम हैं। आरबीआई ने भी नियमों को नरम कर दिया है, जिससे बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स पीसीए से बाहर हो गए। बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के नेट एनपीए रेशियो 6 प्रतिशत से नीचे हैं लेकिन उनका रिटर्न ऑन एसेट्स नेगेटिव बना हुआ है। इनके अलावा आठ अन्य सरकारी बैंक अब भी कारोबारी प्रतिबंधों के दायरे में हैं। इनमें इलाहाबाद बैंक का नेट एनपीए रेशियो सबसे कम 7.70 प्रतिशत पर है जिसके कारण उसके पीसीए से बाहर आने की संभावना सबसे ज्यादा है।