अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को छह अरब डॉलर का राहत पैकेज देते वक्त पाक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कड़ी शर्तें रखीं, लेकिन फिलहाल इमरान सरकार किसी भी शर्त पर खरी उतरती दिखाई नहीं दे रही है। सरकार का बजट घाटा भी तय लक्ष्य से 82 फीसदी बढ़ गया है जो 2019-20 की अवधि में सिर्फ दो माह के भीतर अपनी अहमियत खो चुका है। जबकि आईएमएफ कुछ दिनों बाद ही बेलआउट पैकेज की समीक्षा करने जा रहा है। ऐसे में पकिस्तान के लिए जारी होने वाले राहत पैकेज पर खतरा मंडरा सकता है। पाक का मौजूदा वित्तीय वर्ष में बजट घाटा पिछले 8 वर्षों में सबसे ज्यादा है। पाक वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश का बजट घाटा देश के कुल घरेलू उत्पाद का 8.9 फीसदी (3.45 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गया है जो गतवर्ष 6.6 फीसदी था। इमरान सरकार की नाकामी का यह एक बड़ा सबूत है क्योंकि सरकार ने खुद बजट घाटा जीडीपी का 5.6 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया था। फिजूलखर्ची रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार अपना खर्च कम करने और राजस्व बढ़ाने में नाकाम रही है। जबकि आईएमएफ के तीन साल के बेलआउट कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान ने धीरे-धीरे अपना प्राथमिक घाटा कम करते हुए इसे सरप्लस में बदलने का वादा किया है। ऐसे में आईएमएफ का राहत पैकेज चुनौतीपूर्ण होगा।
यह है सबसे बड़ा खतरा
एक तरफ पाकिस्तान सरकार का खर्च लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ उसकी आय (राजस्व) में गिरावट जारी है। पाकिस्तान ने जुलाई महीने में शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में सरकारी राजस्व 40 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। यदि पाक सरकार इस तिमाही में आईएमएफ के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाती है तो टैक्स बढ़ाने के लिए एक नया मिनी बजट लाना पड़ेगा ताकि आईएमएफ की समीक्षा में पास हुआ जा सके। यह असंभव लक्ष्य है। ऐसे में राजस्व लक्ष्य हासिल न कर पाने पर आईएमएफ का 6 अरब डॉलर का पैकेज खतरे में पड़ सकता है।
भरोसे का संकट
इमरान सरकार ने पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा खर्च किया लेकिन राजस्व में इस साल 6 फीसदी की गिरावट आई है। पाक वित्त मंत्रालय के मुताबिक, कर्ज और रक्षा बजट पर ही 3.23 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए जो सरकारी राजस्व का कुल 80 फीसदी है। उधर, सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के दाम भी बढ़ा दिए। इससे लगता है कि इमरान सरकार पाकिस्तानियों का भरोसा जीतने में सफल नहीं हो पा रही है।
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संकट में पाक: बेलआउट पर आईएमएफ से झटके का डर खतरे में पड़ सकता है 6 अरब डॉलर का पैकेज