यूरोप में खसरा के मामलों में वृद्धि हो रही है और यह उन चार देशों में बढ़ रहा है जिसके बारे में माना जा रहा था कि वहां से इस बीमारी का समूल नाश हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह चेतावनी दी और देशों से टीके लगवाने के प्रयास में तेजी लाने की अपील की। खसरा एवं जर्मन खसरा के उन्मूलन के लिए डब्ल्यूएचओ के यूरोपीय क्षेत्रीय सत्यापन आयोग के प्रमुख गुंटर पाफ ने कहा कि खसरे का दोबारा संचारण चिंता का विषय है। अगर उच्च प्रतिरक्षा कवरेज नहीं हासिल किया गया और इसे सतत नहीं रखा या तो बच्चे और व्यस्क दोनों बेवजह पीड़ा का सामना करेंगे और उनमें से कुछ की मौत हो जाएगी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 2019 में पहले छह महीने में यूरोप के 48 देशों में खसरा के 89,994 मामले सामने आए हैं जो कि 2018 के इस अवधि के हिसाब से दोगुना है। इस अवधि में पिछले साल 44,175 मामले सामने आए थे और पूरे साल 84,462 मामले सामने आए। 2018 के आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन, यूनान, चेक रिपब्लिक और अल्बानिया में अब इस बीमार को समाप्त हो चुकी बीमारी के रूप में नहीं लिया जाता है। खसरा को उस समय समूल नाश हुआ मान लिया जाता है जब 12 महीनों में उसका कोई संचार नहीं है। यह बीमारी बेहद संक्रामक है और इसका रोकथाम दो बार टीका लगाकर किया जा सकता है लेकिन डब्ल्यूएचओ ने हाल के महीनों में टीका लगाने की दर को लेकर आगाह किया है। दुनियाभर में इस साल एक जनवरी से 31 जुलाई तक पिछले साल के शुरुआती सात महीनों के आंकड़े 129,239 के मुकाबले संख्या में तीन गुणा ज्यादा बढ़ोतरी हुई। इस साल यह संख्या 364,808 तक पहुंच गई है। खसरा के सबसे ज्यादा मामले डीआर कांगो, मैडागास्कर और यूक्रेन में है।
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यूरोप के चार देशों में बढ़ रहा है खसरा: डब्ल्यूएचओ - छह महीने में 48 देशों में खसरा के 89,994 मामले सामने आए