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शानदार रिकॉर्ड के बाद भी प्रज्ञान ओझा टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बन सके

शानदार रिकॉर्ड के बाद भी प्रज्ञान ओझा टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बन सके

क्रिकेट के खेल को बॉयचांस कहा जाता है और यही हाल खिलाड़ियों भी है। बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा भी ऐसे खिलाड़ी है जो शानदार अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड के बाद भी पिछड़ गए। आज प्रज्ञान का जन्मदिन है, वो 33 साल के हो गए हैं। 5 सितंबर 1986 को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में जन्मे ओझा ने भारत के लिए 24 टेस्ट, 18 वनडे और 6 टी20 मैच खेले, उन्होंने 144 इंटरनेशनल विकेट अपने नाम किए। बेहद ही शानदार इंटरनेशनल रिकॉर्ड होने के बावजूद प्रज्ञान ओझा पिछले काफी समय से टीम इंडिया से बाहर हैं। प्रज्ञान ओझा ने अपने करियर में कई बड़े कारनामों को अंजाम दिया हालांकि उनका करियर बेहद ही नाटकीय ढंग से 'खत्म' हो गया। आइए ज्ञात हो ओझा ने अपना आखिरी टेस्ट नवंबर 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था, ये सचिन तेंदुलकर के करियर का आखिरी मैच भी था। इस मैच में ओझा ने 10 विकेट अपने नाम किए थे और वो मैन ऑफ द मैच बने थे। उन्होंने अपने इस प्रदर्शन को सचिन के नाम किया था लेकिन ये मैच उनके लिए भी आखिरी साबित हुआ। सचिन के रिटायरमेंट के बाद ओझा को टीम से बाहर कर दिया गया और उनका कभी टीम इंडिया में सेलेक्शन नहीं हुआ। प्रज्ञान ओझा ने तीन बार आईपीएल जीता। वो साल 2009 में डेक्कन चार्जर्स और दो बार मुंबई इंडियंस (2013 और 2015) की टीम से खेलते हुए विजेता टीम के मेंबर रहे। प्रज्ञान ओझा चैंपियंस लीग टी20 टूर्नामेंट जीतने वाली मुंबइ इंडियंस की टीम का हिस्सा भी थे।
साल 2010 में हुए इंडियन प्रीमियर लीग के तीसरे सीजन में उन्होंने 21 विकेट लेकर पर्पल कैप पर कब्जा किया। टूर्नामेंट में ये कारनामा करने वाले वो इकलौते स्पिन हैं, हालांकि इतने अच्छे प्रदर्शन के बावजूद ओझा अब आईपीएल नहीं खेलते हैं। साल 2016 से वो अनसोल्ड खिलाड़ियों की सूचि में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने आखिरी बार आईपीएल 2015 में खेला था। साल 2014 में प्रज्ञान ओझा का एक्शन संदिग्ध पाया गया था जिसके बाद उनपर बैन लगा दिया गया था। हालांकि एक महीने के बाद उनपर लगा बैन हटा लिया गया था। साल 2009 में प्रज्ञान ओझा ने टेस्ट डेब्यू किया और उन्होंने फील्डिंग करते हुए मैच की पहली ही गेंद पर तिलकरत्ने दिलशान का कैच लपका। ये कारनामा करने वाले वो दुनिया के एकलौते क्रिकेटर हैं। 

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