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बैतूल लोकसभा सीट पर क्या नौवीं बार जीत हा‎सिल कर पाएगी भाजपा

बैतूल लोकसभा सीट पर क्या नौवीं बार जीत हा‎सिल कर पाएगी भाजपा

मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट भाजपा का अभेद ‎किला रही है।  इस सीट पर पिछले 8 चुनावों से सिर्फ भाजपा का ही कब्जा रहा है। भाजपा के दिग्गज नेता विजय कुमार खंडेलवाल यहां से 4 बार जीतकर संसद पहुंच चुके हैं। उनके निधन के बाद उनके बेटे हेमंत खंडेलवाल ने यहां पर जीत हा‎सिल की। यह सीट 2009 में परिसीमन के बाद अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। पिछले दो चुनावों से भाजपा की ज्योति धुर्वे ही यहां से जीतती आ रही हैं।  
बैतूल लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ। पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली।  1967 और 1971 के चुनाव में भी इस सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। 1977 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के साथ निकल गई और भारतीय लोकदल ने पहली बार यहां पर जीत हासिल की।  हालांकि 1980 में कांग्रेस ने यहां पर वापसी की और गुफरान आजम यहां के सांसद बने। इसके अगले चुनाव 1984 में भी कांग्रेस को जीत मिली।  तो भाजपा ने पहली बार यहां पर जीत 1989 में हासिल की। आरिफ बेग ने कांग्रेस के असलम शेरखान को हराकर यहां पर भाजपा को पहली जीत दिलाई। इसके अगले चुनाव 1991 में असलम शेरखान ने 1989 की हार का बदला लिया।  उन्होंने इस चुनाव में आरिफ बेग को मात दे दी।  1996 में बीजेपी ने यहां पर फिर वापसी की और विजय कुमार खंडेलवाल यहां के सांसद बने।  1996 में यहां पर वापसी करने के बाद से ही यह सीट बीजेपी के पास है। विजय कुमार खंडेलवाल ने 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में जीत दर्ज की। विजय कुमार खंडेलवाल के निधन के बाद 2008 में यहां पर उपचुनाव हुआ।  उपचुनाव में विजय कुमार खंडेलवाल के बेटे हेमंत खंडेलवाल जीतकर यहां के सांसद बने। परिसीमन के बाद 2009 में यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई। 2009 में बीजेपी ने यहां से ज्योति धुर्वे को उतारा।  ज्योति धुर्वे पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरीं और जीत हासिल कीं।  उन्होंने इसके बाद अगला चुनाव भी जीता। बैतूल लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। मुलताई, घोड़ाडोंगरी, हर्दा, अमला, भैंसदेही, हरसूद, बैतूल, तिमरनी यहां की विधानसभा सीटें हैं। इन 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर कांग्रेस और 4 पर भाजपा  का कब्जा है।  2014 के लोकसभा चुनाव में भजापा की ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के अजय शाह को मात दी थी। ज्योति धुर्वे को 643651(61। 43 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं अजय शाह को 315037( 30। 07 फीसदी) वोट मिले थे।  दोनों के बीच हार जीत का अंतर 328614 वोटों का था। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी 1.97 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी।  इससे पहले 2009 के चुनाव में भी भाजपा के ज्योति धुर्वे ने जीत हासिल की थी।  उन्होंने कांग्रेस को ओजाराम ईवाने को हराया था।  ज्योति धुर्वे को 334939(52. 62 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं ओजाराम को 237622(37.33 फीसदी) वोट मिले थे।  दोनों के बीच हार जीत का अंतर 97317 वोटों का था। 
अगर बैतूल जिले की बात की जाए तो यह मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित है। इसका अपना एक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।  यहां पर लंबे वक्त तक मराठाओं और अंग्रेजों ने राज किया।  बैतूल जिला नर्मदा संभाग के अंतर्गत आता था।  2011 की जनगणना के मुताबिक बैतूल की जनसंख्या 2459626 है।  यहां की 81. 68 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 18. 32 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। यहां की 40.56 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 11.28 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है।  चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर 1607822 मतदाता थे। इनमें से 770987 महिला मतदाता और 836835 पुरुष मतदाता थे।  2014 के चुनाव में इस सीट पर 65. 16 फीसदी मतदान हुआ था।  52 साल की ज्योति धुर्वे दूसरी बार इस सीट से जीतकर संसद पहुंची हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जन्मी ज्योति धुर्वे ने एमए की पढ़ाई पूरी की है। संसद में उनके प्रदर्शन की बात की जाए तो वो 16वीं लोकसभा में उनकी उपस्थिति 84 फीसदी रही।  उन्होंने 64 बहस में हिस्सा लिया।  ज्योति धुर्वे ने 229 सवाल भी किए। ज्योति धुर्वे को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 17.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 20.64 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 15.96 यानी मूल आवंटित फंड का 89.47 फीसदी खर्च किया। उनका करीब 4.68 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च के बाकी रह गया। 

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