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दूध, मावा, पनीर के सेम्पल लेने में खाद्य विभाग फिसड्डी ढाई माह में लिये मात्र 10 सेम्पल, समीक्षा बैठक की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

दूध, मावा, पनीर के सेम्पल लेने में खाद्य विभाग फिसड्डी  ढाई माह में लिये मात्र 10 सेम्पल, समीक्षा बैठक की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

दूध, मावा, पनीर के सेम्पल लेने में खाद्य विभाग फिसड्डी 
ढाई माह में लिये मात्र 10 सेम्पल, समीक्षा बैठक की रिपोर्ट में हुआ खुलासा 
अशोकनगर । एफ तरफ सरकार खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा अधिकारी नमूने लेने के टारगेट में फेल साबित हो रहे हैं। ऐसा ही मामला जिले में सामने आया, जहां नमून लेने का आंकड़ा सबसे कम है। इसका खुलासा बीते दिन राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट मे हुआ है। 
दरअसल,बीती जुलाई माह में मुरैना क्षेत्र में मिलावटी दूध का खुलासा हुआ था। इस मामले के सामने आने के बाद प्रदेश भर में दूध, मावा और पनीर के अधिक से अधिक नमूने लेने के आदेश जारी किये गए थे। इसके बावजूद भी खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा इसमें रुची नहीं दिखाई। परिणाम ब्लॉकों से नमूने लेने के मामले में 10 का आंकड़ा तक पार नहीं कर सकें हैं। मंगलवार को जब खाद्य विभाग अधिकारी बिष्णू शर्मा से नमूनो की जानकारी ली गई, तो उन्होने बताया कि जुलाई माह से अभी तक दूध के 6, मावा के 3 और पनीर का 1 सेम्पल लिया है। इस हिसाब से नमूने लेने में खाद्य विभाग फिसड्डी है। 
-दूध कम लेकिन आपूर्ति अधिक, मिलावट की ओर है इशारा:
दूध मिलावट को लेकर यदि बात करें तो जिले में ही प्रतिवर्ष हजारों शाादियां, अनेकों धार्मिक अनुष्ठान, भण्डारे आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते है जिसमें अधिकांशत: दूध से बनी सामग्रीयों का प्रयोग होता है। ऐसे में जब दूध कम है और उसकी आपूर्ति कहीं अधिक है। ऐसे में दूध आपूर्ति की भरपाई होना कहीं ना कहीं मिलावट की ओर इशारा करता है। मिलावटखोरों ने भी दूध को इस तरह व्यवस्थित कर लिया है कि वह कहीं ना कहीं दूधियों को खुला संरक्षण देकर उन्हें इस तरह के कारोबार करने का संरक्षण प्रदान कर रहे है और यही कारण है कि दूध के नाम पर कई डेयरी संचालकों और दूध प्लांटों के मालिकों ने अपनी जेबें जनता का शोषण और मिलावटी दूध बिक्री कर भर ली है। अब यदि देर-सबेर दूधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही हो रही है तो इससे उनमें बौखलाहट है बाबजूद इसके यह छापामार कार्यवाही नियमित रूप से जारी रहना चाहिए तभी मिलावटखोरी पर अंकुश लग सकेगा अन्यथा देखने-दिखाने की जाने वाली कार्यवाही का क्या औचित्य?
-अभी भी जारी है दूध में मिलावट का धंधा: 
दूध में मिलावट का धंधा काफी व्यापक पैमाने पर फैला हुआ है। दूध से बना पनीर, दूध से बनी मिठाईयां और दूध से बना मावा बाजार में कुछ इस प्रकार मिलावटखोरों द्वारा बेचा जा रहा है कि आम जनता इससे पूरी तरह अनजान है। जांच में जटिलता पैदा करने के लिए मिलावटखोर मिलावट के नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं। छोटे चाय व मिष्ठान दुकानदार मुलावटखोरी में अधिक लिप्त हैं। चूंकि विभाग न तो छोटी दुकानों पर शक करता है और न ही छापा डालता है। जिससे उनका काम आसान हो गया है। 

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